हेडकांस्टेबल रतनलाल ने दो दिन पहले मां से की थी बात, होली पर गांव आने का किया था वादा

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  • सोमवार को दिल्ली में सीएए के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के जवान रतनलाल की मौत हो गई थी
  • राजस्थान में सीकर जिले के तिहावली गांव के रहने वाले थे रतनलाल, ग्रामीणों ने शहीद का दर्जा देने की मांग की

जयपुर. सोमवार को दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इसमें दिल्ली पुलिस के हेडकांस्टेबल रतनलाल बारी की मौत हो गई थी। रतनलाल राजस्थान के सीकर जिले के रामगढ़ शेखावाटी स्थित तिहावली गांव के रहने वाले थे। रतनलाल की मौत की खबर गांव पहुंची तो उनकी बुजुर्ग मां संतरा देवी बेसुध हो गई।

गांव में रतनलाल का छोटा भाई दिनेश और उनकी 70 वर्षीय मां संतरा देवी रहती हैं। परिजन ने बातचीत में बताया कि दो दिन पहले ही रतनलाल ने फोन पर मां और छोटे भाई से बातचीत की थी। तब रतनलाल ने मां से कहा था कि इस बार छुट्‌टी लेकर परिवार के साथ होली पर वह गांव आएंगे। यहीं, परिवार और गांव के दोस्तों के साथ होली मनाएंगे। रतनलाल की मौत की सूचना मिलते ही गांव में सन्नाटा पसर गया। राजस्थान विधानसभा में भी बुधवार को भाजपा विधायकों ने 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।

टूटी परिवार की मजबूत कड़ी, ढाई साल पहले हुई थी पिता की मौत

ग्रामीणों ने बताया कि करीब ढाई साल पहले ही रतनलाल के पिता बृजमोहन बारी की मौत हुई थी। तीन भाईयों में रतनलाल सबसे बड़े थे। उनका एक छोटा भाई दिनेश गांव में ही खेतीबाड़ी और गाड़ी चलाकर परिवार का पेट भरता है। वहीं, एक अन्य छोटा भाई रमाकांत बैंगलोर में रहकर निजी कामकाज करता है। परिवार की मजबूत कड़ी सिर्फ रतनलाल ही थे। उनकी मौत से अब वह कड़ी भी टूट गई।

1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे रतनलाल, तीन बच्चों के सिर से उठा पिता का साया

रतनलाल 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। वर्तमान में उनकी तैनाती गोकुलपुरी सब डिवीजन के एसीपी ऑफिस में थी। उनके परिवार में 12 साल की बेटी सिद्धि, 10 साल की बेटी कनक और सात साल का बेटा राम है। रतनलाल की पत्नी पूनम को टीवी से पति की मौत की खबर मिली।

ग्रामीणों की मांग- रतनलाल को शहीद का दर्जा दिया जाए 

रतनलाल के चचेरे भाई ने कहा कि रतनलाल के परिवार को आर्थिक मुआवजा दिया जाए। उसकी शहादत बेकार नहीं आए। साथ ही, रतनलाल को शहीद का दर्जा दिया जाए। वहीं, ग्रामीण सुनील चौधरी ने मांग रखी कि रतनलाल के परिजन को वो मान सम्मान दिया जाए, जो इनका हक है। सुनील ने बताया कि जब कभी रतनलाल छुटि्टयों में गांव आते थे यहां युवाओं से बातचीत करके उन्हें देशसेवा की भावना के लिए प्रेरित करते।

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