खूबसूरत वादियों, पहाड़ों और सेब के लिए मशहूर राज्य हिमाचल प्रदेश की सेहत की निगरानी गोरखपुर से होगी। बीआरडी मेडिकल कालेज परिसर में स्थित रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) को हिमाचल प्रदेश के केलांग में स्थित सैटेलाइट सेंटर की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी मिली है। इस सेंटर को इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने स्थापित किया है।
इस सेंटर के स्थापित हुए कुछ ही महीने हुए हैं। अब तक आरएमआरसी जबलपुर को इसकी निगरानी की जिम्मेदारी मिली थी। अब आईसीएमआर ने इसे आरएमआरसी गोरखपुर को हैंडओवर कर दिया है। यहां आरएमआरसी की सीनियर साइंटिस्ट डॉ. हीरावती देवल को इसका नोडल इंचार्ज बनाया गया है। यह अपनी तरह का अनोखा सेंटर है। जिले से करीब 1500 किलोमीटर दूर यह सेंटर पहाड़ की बेहद ऊंची चोटी पर स्थित है। यहां कभी-कभी तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है।
दुर्गम क्षेत्र की बीमारियों पर होगा रिसर्च
इस सेंटर का उपयोग आरएमआरसी पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्रों में होने वाली बीमारियों पर रिसर्च के लिए करेगा। इस दुर्गम क्षेत्र में नॉन कम्युनिकेबल डिजीज, टीबी और कोविड जैसी बीमारियों पर रिसर्च शुरू हो गई है। आरएमआरसी के निदेशक डॉ. रजनीकांत ने बताया कि यह संस्थान के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। अब रिसर्च में वैरायटी मिलेगी। हम मैदानी क्षेत्रों से जुड़ी बीमारियों पर गोरखपुर और आसपास के इलाकों में रिसर्च कर सकेंगे। इन क्षेत्रों में एक बड़े कई प्रकार की जटिल बीमारियां का प्रसार है। इसी तरह पहाड़ी क्षेत्रों में जो बीमारियां होती हैं। उस पर रिसर्च केलांग सेंटर पर होगा। यह रिसर्च कई मायनों में खास होंगे। दुर्गम क्षेत्रों पर में बड़ी आबादी रहती है। इसके साथ ही ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में सैनिक भी ड्यूटी करते हैं। रिसर्च के परिणाम सभी के लिए फायदेमंद रहेंगे।
टीबी मुक्त कराने का चलेगा अभियान
उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में भी टीबी और एनिमिया के मामले सामने आ रहे हैं। इसको देखते हुए क्षेत्र में टीबी उन्मूलन और एनिमिया को दूर करने के लिए विशेष अभियान संचालित किया जाएगा। यह अभियान प्रदेश सरकार की मदद से संचालित होगा।