कड़ाके की ठंड ने आमजन की दिनचर्या पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला। सरकारी व निजी कार्यालयों में कर्मचारी पहुंचे जरूर लेकिन ज्यादातर ने कमरे व केबिन का दरवाजा बंद कर काम किया। सर्द होते मौसम के बीच दोपहर बाद धूप निकली लेकिन तपिश अधिक न होने के चलते गलन में कोई कमी नहीं आई। इससे आम जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया।
सड़कों पर भी लोगों का आवागमन पूरे दिन कम ही रहा। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के बाजारों में आमतौर पर सन्नाटे का माहौल रहा। ज्यादातर दुकानदार अपने-अपने प्रतिष्ठानों के सामने अलाव जलाकर ठंड से बचने का प्रयास करते दिखे। लगातार बढ़ रही ठंड के बावजूद ज्यादातर सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। इससे अधिक मुश्किल राहगीरों को हुई।
उधर कड़ाके की ठंड ने सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के जीवन पर डाला है। शासन-प्रशासन से किसी प्रकार की सहायता न मिलने से उन्हें कड़ाके की ठंड में विभिन्न प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
जहांगीरगंज की 85 वर्षीय शकुंतला ने नाराजगी जताते हुए कहा कि न तो कंबल मिल सका है और न ही अलाव की ही व्यवस्था हो सकी है। दिन तो किसी प्रकार कट जाता है लेकिन रात गुजारना मुश्किल हो रहा है। वहीं, अकबरपुर के 72 वर्षीय रामनयन व 69 वर्षीय मोहम्मद हलीम ने कहा कि गरीबों की कहीं कोई सुनवाई नहीं है। सिर्फ वादे ही किए जाते हैं लेकिन कोई सहायता नहीं दी जाती।