कोरोना काल की अन्य तमाम मुश्किलों-चुनौतियों के साथ स्कूली शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसे पटरी पर लाने की कोशिशों के बीच एक बड़ी कोशिश चार सॉफ्टवेयर इंजीनियरों ने की है। उन्होंने ‘कैवेन-एक्स’ नाम का एक अनोखा एजुकेशनल प्लेटफार्म विकसित किया है। इससे छात्र-छात्राएं घर बैठे स्कूल की कक्षाओं से जुड़ सकेंगे या दोबारा कभी भी देख सकेंगे। स्टार्टअप इंडिया के तहत तैयार किया गया यह सॉफ्टवेयर एक साथ 10 लाख छात्रों को जोड़ सकता है।
लॉकडाउन के दौरान स्कूल-कॉलेजों में शिक्षा व्यवस्था ठप पड़ी तो इस तरह का सॉफ्टवेयर विकसित करने का विचार सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के दिमाग में आया। ये चारों इंजीनियर अलग-अलग क्षेत्रों के हैं। टीम लीडर अभीष्ट सिंह जिले के गोरखनाथ क्षेत्र के विकास नगर के रहने वाले हैं, जबकि उज्ज्वल भारद्वाज देहरादून, उज्ज्वल गुप्ता नैनीताल और स्वास्तिक श्रीवास्तव छत्तीसगढ़ के निवासी हैं। चारों ने कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया है।
सर्वर डाउन नहीं होगा
अभीष्ट ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर को बनाने की सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि लंबे समय तक इसका प्रयोग किया जा सके। छात्र शहरी क्षेत्र के साथ ग्रामीण अंचल के भी हो सकते हैं। कोरोना का प्रकोप बढ़ने पर ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों मोड से पढ़ाई हो सके। इन सभी चुनौतियों को देखते हुए ही कोवेन-एक्स को तैयार किया गया है। इसमें कभी सर्वर डाउन नहीं होगा। इस सॉफ्टवेयर को स्टार्टअप इंडिया के तहत तैयार किया गया है। इससे ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों मोड से पढ़ाई हो सकती है।
छात्र घर पर कर सकते हैं पढ़ाई
उन्होंने बताया कि इस सॉफ्टवेयर में कई खास फीचर हैं। इसमें दिन में स्कूल में संचालित हुई कक्षाओं को छात्र घर जाकर दोबारा देख सकते हैं। इसमें छात्रों का व्हाट्सएप ग्रुप बन सकता है। आपस में चैट शेयर कर सकते हैं। हर क्लास के लिए अलग-अलग इंतजाम हैं। सॉफ्टवेयर में एलुमिनाई सेगमेंट भी रखा गया है, जिसमें स्कूल के पुरातन छात्र भी जुड़ सकेंगे।
अभ्युदय से जोड़ने की है योजना
अभीष्ट ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर में 10 लाख तक छात्र जुड़ सकते हैं। वे एक साथ पढ़ सकते हैं। इसमें कोर्स मटेरियल, किताबें भी अपलोड हो सकती हैं। एक साथ कितने छात्रों ने कोर्स पढ़ा, इसकी जानकारी शिक्षक को मिलेगी। इसको देखते हुए इस सॉफ्टवेयर को अभ्युदय से जोड़ने की योजना है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
फीडबैक के मुताबिक हो रहा है अपडेट
अभीष्ट ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर को बनाने में पांच महीने का समय लगा। कुछ स्कूलों में ट्रॉयल किया गया। वहां से मिले फीडबैक के हिसाब से इसे और अपग्रेड किया गया है। अपग्रेडेशन की प्रक्रिया चल रही है। इसकी मदद से स्कूल वोकेशनल कोर्स भी संचालित कर सकेंगे। इसके अलावा समर ट्रेनिंग व पाठ्येतर गतिविधिया करा सकेंगे।