नये प्रबंधक यहां से सामान और कबाड़ बेचना चाहते थे। कई बार प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिली। मिल के कर्मचारी और गन्ना किसान इसका विरोध कर रहे थे। मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे की तारीख है। कुछ दिन पूर्व मिल प्रबंधन के लोग स्क्रैप निकलवाने आए तो श्रमिकों ने उन्हें दौड़ा लिया था।
मिल प्रबंधन ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की थी। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट से उनके पक्ष में आदेश हुआ। इसके बाद जिला प्रशासन की ओर से शनिवार को एसडीएम सदर सचिन सिंह कई थानों की पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे। मिल कर्मचारियों, किसानों, मिल प्रबंधन और प्रशासन के बीच वार्ता हुई। मिल श्रमिक कन्हैया यादव, जीउत यादव, रमाशंकर सिंह, मुकुल सिंह, चंडीलाल जायसवाल, रामसकल यादव का कहना था कि उनका 24 करोड़ रुपये बकाया है।
जबकि किसानों का कहना था कि 1.62 करोड़ रुपये उनका गन्ना मूल्य बाकी है। जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता है, वे लोग यहां से स्क्रैप नहीं उठने देंगे। अंत में इस बात पर समझौता हुआ कि प्रतिदिन एक ट्रक स्क्रैप चीनी मिल से निकलेगा। इसकी वीडियोग्राफी कराई जाएगी। तौल कराकर मिल प्रबंधन के लोग प्रतिदिन रसीद जिला प्रशासन को देंगे। गौरीबाजार के इंस्पेक्टर डीपी सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है।