नई दिल्ली : खाना खाते समय समय यदि एक छोटा कंकड़ भी खाने के साथ मुंह में आ जाए, तो उसके चबाते ही पूरे शरीर में झनझनाहट सी दौड़ जाती है। इससे बचने के लिए लोग चावल को अच्छी तरह साफ कर एक-एक कंकड़ चुनते हैं।
खाना खाते समय समय यदि एक छोटा कंकड़ भी खाने के साथ मुंह में आ जाए, तो उसके चबाते ही पूरे शरीर में झनझनाहट सी दौड़ जाती है। इससे बचने के लिए लोग चावल को अच्छी तरह साफ कर एक-एक कंकड़ चुनते हैं। लेकिन, जरा सोचिए यदि 80 किलो चावल में 8 किलो कंकड़-पत्थर हों, तो क्या होगा? शायद, इसका जवाब आरंग ब्लाक के गांव सकरी-जावा के लोग दे सकते हैं, जिनको सस्ते चावल में कंकड़ दिया जा रहा है।
शासन के आदेशानुसार खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा सोसाइटी के माध्यम से फरवरी व मार्च महीने का चावल ग्राहक को एक साथ दिया जा रहा है, जिसके तहत ग्राम पंचायत सकरी जावा में सोसायटी चलाने 8शेष पेज 07 पर वाले सरपंच संतन कुर्रे के पुत्र दिलीप कुर्रे ने फरवरी के लिए 148 क्विंटल 52 किलो और मार्च के लिए 145 क्विंटल 82 किलो चावल उठाया।
चावल देने कोटवार के मार्फत मुनादी भी कराई गई। अन्य ग्रामीणों के साथ कुंती साहू पति रमेश साहू व लता साहू पति राजू साहू 42-42 किलो के हिसाब से 84 किलो चावल लेकर घर पहुंचे। जब उन्होंने चावल साफ करने के लिए बोरी खोली, तो दंग रह गए। बोरी में चावल कम और रेत व कंकड़-पत्थर ही दिखाई दे रहे थे। जैसे-तैसे उसे साफ करने बैठे तो लगभग 8 से 9 किलो रेत और कंकड़-पत्थर निकल गए। इतनी अधिक मात्रा में कंकड़-पत्थर देखकर हैरान-परेशान कुंती साहू ने आसपास के लोगों को इसके बारे में बताया।
दूसरे घरों में भी यही स्थिति थी, लिहाजा ग्रामीण आक्रोशित होने लगे। कई सरकारी राशन दुकान से मिलने वाले चावल में जानबूझकर मिलावट की बात कहते हुए हंगामा भी करने लगे। इसके बाद रमेश साहू ने सरपंच संतन कुर्रे के पास जाकर रेत मिले चावल को दिखाया। सरपंच ने कहा कि आप चावल को कल बदलवा लेना, अभी दुकान बंद है। वहीं, इतनी मात्रा में कंकड़-पत्थर मिलने से हैरान सरपंच ने बाकी बचे 7 कट्टा चावल को अलग से रखवा दिया है। उन्होंने बताया कि अधिकांश लोगों को चावल बांट दिया गया है। जो बचा है, उसे अब नहीं बांट रहे हैं, अलग रख दिया है और अधिकारी को इसकी सूचना दे दी है।