अब यूपी में रियल स्टेट कंपनियों की मनमानी नहीं चलेगी, क्योंकि बुद्धवार को योगी सरकार ने रियल स्टेट रेग्यूलेशन एक्ट यानि रेरा (RERA) लागू कर दिया है। इस एक्ट से जहां खरीददारों को राहत मिलेगी वहीं धोखेबाज बिल्डरों के लिए ये एक्ट किसी सिरदर्द से कम नहीं है।
अब यूपी में रेग्यूलेटरी अथॉरिटी काम करना शुरू कर दिया,रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट भी लांच को गया,अब विल्डर के साथ-साथ एसोसिएट (एजेंट) को भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। कानून का कड़ाई से पालन कराने के लिए यूपी सरकार बचनबद्ध दिख रही है।
इस कानून में ग्राहकों को पजेशन मिलने, नक्शे में बदलाव आदि के लिए कानून बने हैं जो कि घर खरीदने वालों के लिए फायदेमंद हैं वहीं ईमानदार विल्डर इस बिल का स्वागत कर रहे है तो वादे से पीछे हटने वाले विल्डर परेशान है।
आइए आगे आपको बताते हैं कि क्या है रेरा कानून और इस कानून से जुड़ी कितनी बातें ग्राहकों के हक में है।
70 फीसदी राशि बैंक में रखनी होगी
बिल में महत्वपूर्ण बात ये है कि बिल्डर जो पैसा ग्राहकों से ले रहा है उस राशि का 70 फीसदी बिल्डर्स को बैंक में अलग से जमा करना होगा, इस पैसे का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ निर्माण कार्य के लिए किया जाएगा।
अब समय पर मिलेगा आपको घर
पहले बिल्डर्स इस पैसे को दूसरे प्रोजेक्ट में लगा देते थे जिससे पहले के प्रोजेक्ट में देरी होती थी और ग्राहकों को तय वक्त पर मकान नहीं मिल पाता था, पर अब इस कानून के लागू हो जाने से ऐसा नहीं होगा। बिल्डर पर लगेगी पेनल्टी यदि बिल्डर कोई ऐसा प्रोजेक्ट ग्राहकों को बेचता है जो कि रजिस्टर्ड नहीं है तो बिल्डर पर प्रोजेक्ट पेनल्टी लगेगी।
रेरा एक्ट कॉमर्शियल और रेजिडेंशियल दोनों ही प्रोजेक्ट्स पर लागू
यह कानून कॉमर्शियल और रेजिडेंशियल दोनों ही प्रोजेक्ट्स पर लागू होगा। पैसे के लेन-देन पर पूरी नजर रखी जाएगी, यदि कॉमर्शियल प्रोजेक्ट में आप दुकान आदि के लिए स्पेस ले रहे हैं तो भी इस बिल में ग्राहकों के हितों की रक्षा की जाएगी।
रियल स्टेट एजेंट्स का रजिस्ट्रेशन जरूरी
रियल स्टेट एजेंट्स भी रेग्यूलेटरी अथॉरिटी के साथ रजिस्टर्ड होंगे, सरकार को उम्मीद है कि ऐसे एजेंट्स के होने से धोखाधड़ी की संभावनाएं सबसे कम होंगी। ये एजेंट्स केवल वही प्रोजेक्ट बेच पाएंगे जो कि रजिस्टर्ड होंगे।
पारदर्शिता बनाए रखना जरूरी
इस कानून के लागू होने के बाद, बिल्डर्स को प्रोजेक्ट से जुड़ी हर गतिविधि को पारदर्शी रखना होगा, पहले खरीददारों को केवल वही बातें पता होती थीं जो कि बिल्डर्स उन्हें बताते थे लेकिन अब संबंधित अथॉरिटी की वेबसाइट के जरिए प्रोजेक्ट से जुड़े सभी जरूरी और मामूली जानकारियों ग्राहकों को मिलती रहेंगी।
बिना ग्राहक की मर्जी के नहीं कर पाएंगे प्रोजेक्ट में बदलाव
एक बार प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद बिल्डर्स प्रोजेक्ट में कोई बदलाव नहीं कर पाएंगे। बिल्डर्स तभी बदलाव कर सकते हैं जब ग्राहकों की अनुमति उन्हें मिली हो, बिना ग्राहकों की मंजूरी के बिल्डर्स प्रोजेक्ट में किसी तरह का बदलाव नहीं कर सकते हैं।
मनमानी करने वाले बिल्डर्स पर होगी कार्रवाई
यदि बिल्डर किसी तरह की मनमानी करता है, नियमों के विपरीत जाकर काम करता है तो इस पूरे रवैए को रेरा कानून का उल्लंघन माना जाएगा और इस कानून के उल्लंघन के लिए बिल्डर को भारी पेनल्टी या फिर जेल की 3 साल की सजा दिए जाने का प्रावधान है।
हर राज्य में अथॉरिटी का गठन होगा
हर राज्य में एक रियल स्टेट रेग्यूलेटरी एक्ट का गठन किया जाएगा जहां खरीददारों की शिकायतों का निपटारा इस अथॉरिटी के द्वारा किया जाएगा।
जुलाई 2017 तक हर हाल में रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य
रेरा कानून के तहत जुलाई तक सभी प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन जरूरी है, रेरा में कहा गया है कि सभी मौजूदा प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन संबंधित राज्यों की रेगुलेटरी अथॉरिटीस में जुलाई 2017 तक हो जाना चाहिए।
अथॉरिटी को देनी होगी पूरी जानकारी
रजिस्टर्ड प्रॉजेक्ट की पूरी जानकारी प्राधिकरण को दी जानी जरूरी है, कानून के तहत अब यह आवश्यक हो गया है कि प्रॉजेक्ट पूरा होने की तारीख दी जाए। पजेशन में देरी होने या कंस्ट्रक्शन में दोषी पाए जाने पर बिल्डरों को ब्याज और जुर्माना दोनों देना होगा।
बिक्री सुपर एरिया पर नहीं कारपेट एरिया पर होगी
रियल एस्टेट कानून के मुताबिक, प्रॉजेक्ट की बिक्री सुपर एरिया पर नहीं बल्कि कॉरपेट एरिया पर करनी होगी, पजेशन में देरी होने या कंस्ट्रक्शन में दोषी पाए जाने पर बिल्डरों को ब्याज और जुर्माना दोनों देना होगा।