शहर में खून का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। शहर में ऐसा गिरोह सक्रिय है जो जरूरतमंदों से पैसे वसूलकर खून बेच रहा है। बिना डोनर के ब्लड ग्रुप बताकर खून ले लीजिए। गिरोह का नेटवर्क कुछ लैब से कई अस्पतालों तक है। नशे का शौक पूरे करने के लिए कुछ लोग अपना खून बेच रहे हैं। दलाल 700 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक में खून खरीदकर उसे जरूरतमंदों को ढाई से तीन हजार रुपये में बेच रहे हैं।
ऐसे खुला खून के कारोबार का राज
संभल जिला निवासी हर्ष अलीगढ़ से 13 नवंबर को गाजियाबाद रेलवे जंक्शन पर उतरे। उन्होंने राकेश मार्ग के लिए रिक्शा किया। रिक्शा में बैठने के बाद उन्होंने एक व्यक्ति को फोन मिलाया और कहा हेलो… सर मैं खून के लिए काफी परेशान हो चुका हूं। अस्पताल में भर्ती बहन को खून की जरूरत है और मेरे पास पैसे भी नहीं हैं। गाजियाबाद में अपने रिश्तेदार से रुपये लूंगा। तब कहीं से व्यवस्था करूंगा। इसी दौरान जिस रिक्शे में हर्ष बैठे हुए थे उसके चालक ने कहा कि साहब खून के लिए परेशान मत हो। मैं दो जगह से खून की व्यवस्था करा सकता हूं। रिक्शा चालक ने दो लोगों को कॉल किया और उन्हें रेलवे स्टेशन के पास बुला लिया। बाइक पर आए दो युवकों ने कहा कि तीन हजार रुपये में एक यूनिट मिल जाएगी। आप जरूरतमंद मरीज का ब्लड ग्रुप बता दीजिए। जो ग़्रुप होगा उसी का खून मिल जाएगा।
साहब लैब से है सेटिंग मिलेगा अच्छा खून
रिक्शा चालक ने कहा कि यह दोनों बाइक सवार युवक रिक्शा चालक, ऑटो चालक और कुछ युवाओं के संपर्क में रहते हैं। जिन लोगों के पास नशे का शौक पूरा करने के लिए पैसे नहीं होते हैं। उनका 700 से 1000 रुपये में खून खरीदते हैं। उनको किसी लैब पर ले जाते हैं। वहां से खून निकलवाकर इन्हें बेच देते हैं। कुछ युवा महंगे शौक करने के लिए ब्लड बेच देते हैं। इसलिए इन लोगों के पास खून की कभी कमी नहीं रहती। रिक्शावाले ने बताया कि दलाल लैब के साथ जरूरतमंद से मिले पैसे बांट लेते हैं। जो ग्राहक लाता है उसे भी 100 से 200 रुपये उसे भी दे देते हैं। रिक्शा चालक ने दो यूनिट खून 6 हजार रुपये में दिलवा दिया। नाम पूछने पर उसने अपना नाम और मोबाइल नंबर हर्ष को नहीं दिया।
अस्पतालों तक है नेटवर्क
खून का यह खेल केवल लैब तक ही सीमित नहीं है। यह गिरोह काफी बड़ा है। सूत्रों का कहना है कि अस्पतालों तक खून जाता है। दलाल अस्पतालों के आसपास भटकते रहते हैं। जिन लोगों पर खून की व्यवस्था नहीं हो पाती है। उन लोगों से रुपये लेकर खून बेच दिया जाता है। यह स्थिति तब है जब सरकार ने सरकारी अस्पतालों में खून की व्यवस्था निशुल्क कर दी है। अपने साथ किसी भी ब्लड ग्रुप का रक्तदाता लाओ और संबंधित ब्लड ग्रुप का खून ले जाओ।
इस तरह का मामला हमारे संज्ञान में नहीं है। यदि कोई शिकायत मिलती है तो उसके आधार पर ड्रग विभाग को लिखा जाएगा। ड्रग विभाग ही इन पर कार्रवाई करेगा। – डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओ
सरकारी ब्लड बैंक में पर्याप्त खून की व्यवस्था है। ब्लड बैंक के निरीक्षण के दौरान रक्तदाता का मोबाइल नंबर और आधार कार्ड देखते हैं। कुछ लोगों से फोन पर बात करके जानकारी करते हैं। अब इस तरह की घटना अफवाह रह गई हैं। यदि फिर भी ऐसा हो रहा है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।– पूरन चंद, ड्रग इंस्पेक्टर