वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज के मुख्य द्वार पर ताला बंद कर शुक्रवार की दोपहर बीएससी (एग्रीकल्चर) के छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन किया। उनके समर्थन में अन्य विभागों के छात्र भी खड़े नजर आए। छात्र-छात्राओं का कहना था कि कॉलेज के प्रबंध तंत्र की लड़ाई में उनका भविष्य अधर में लटक जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के नए नियम के तहत अब उससे मान्यता प्राप्त कॉलेज या विश्वविद्यालय के बीएससी (एग्रीकल्चर) उत्तीर्ण छात्र-छात्राएं ही एमएससी और पीएचडी कर पाएंगे। यूपी कॉलेज के प्रबंध तंत्र के आपसी विवाद के चलते यहां अभी तक ICAR से मान्यता नहीं ली जा सकी है। ऐसे में यूपी कॉलेज से बीएससी (एग्रीकल्चर) की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र-छात्राएं अब क्या करें।
संकाय प्रमुख प्रयासरत, प्रबंध तंत्र नहीं कर सहयोग
छात्र-छात्राओं ने कहा कि एग्रीकल्चर विभाग के प्रमुख शैक्षणिक सत्र की शुरूआत होते ही ICAR से मान्यता संबंधी कागजी कार्रवाई पूरी कर प्रबंध तंत्र के पास भेज दिए थे। ICAR से मान्यता लेने में 10 से 12 लाख रुपये का खर्च आता है। प्रबंध तंत्र से जुड़े लोग आपसी खींचतान में इस तरह से उलझे हुए हैं कि वो एग्रीकल्चर विभाग के प्रमुख द्वारा भेजे गए कागजात को आगे बढ़ाकर मान्यता का काम ही नहीं करा रहे हैं। अगर अब भी कॉलेज का प्रबंध तंत्र छात्र-छात्राओं के हित पर गंभीरता से विचार नहीं किया तो सभी अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे।
प्राचार्य ने दिया आश्वासन, जल्द ले लेंगे मान्यता
यूपी कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष निशांत सिंह ने बीएससी (एग्रीकल्चर) के छात्र-छात्राओं की मांग से संबंधित ज्ञापन प्राचार्य डॉ. एसके सिंह को सौंपा। इस पर उन्होंने आश्वस्त किया कि ICAR से मान्यता लेने संबंधी काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा। छात्र-छात्राओं का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। गौरतलब है कि यूपी कॉलेज में प्रत्येक वर्ष बीएससी (एग्रीकल्चर) की 150 सीटों पर एडमिशन होता है। कॉलेज में पढ़ाई अच्छी होने के कारण एक सीट के लिए औसतन 20 से ज्यादा अभ्यर्थी आवेदन फार्म भरते हैं।