वायुसेना की पहली तीन लड़ाकू महिला विमान पायलटों को राष्ट्रपति ने दिया नारी शक्ति पुरस्कार

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अतंरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भारतीय वायुसेना की पहली तीन महिला लड़ाकू विमान पायलटों को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। यह तीनों ही हमेशा से कुछ अलग करके दिखाना चाहती थीं। इन पायलटों के नाम- मोहना सिंह जीतरवाल, भावना कांत और अवनी चतुर्वेदी हैं। उनका कहना है कि हम राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रयासरत हैं। हमने बहुत कुछ हासिल किया है।

तीनों पायलटों ने साल 2018 में मिग-21 में अकेले उड़ान भरी थी। लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए इन्हें हकीमपेट वायुसेना बेस में कड़ी ट्रेनिंग दी गई थी। परंपरागत रूप से पुरुष-प्रधान दुनिया में, मोहना, अवनी और भावना ने सभी मानसिक बाधाओं को तोड़ा और दुनिया को दिखाया कि कुछ भी ऐसा नहीं है जो महिलाएं नहीं कर सकतीं।

तीनों के लड़ाकू विमान उड़ाने के बाद से और ज्यादा महिलाओं के कॉम्बैट रोल में आने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। यह महिलाएं बहादुरी और प्रेरणा के अलावा नारी सशक्तिकरण का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

महिला दिवस पर जानिए कौन हैं यह महिलाएं-

मोहना सिंह जीतरवाल- वह राजस्थान के झुंझनु जिले के छोटे से गांव खतेहपुरा की रहने वाली हैं। जहां फौजी बनने को किसी और चीज से ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। उनके दादा का नाम लाडू राम जाट है जो 1948 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हो गए थे और उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। वह एविएशन रिसर्च सेंटर में भारतीय वायुसेना में फ्लाइट गनर के तौर पर तैनात थे। मोहना के पिता भी वायुसेना में वारंट ऑफिसर के तौर पर कार्यरत हैं। मोहना ने अमृतसर के ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड इमर्जिंग टेक्लोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में स्नातक किया है।

भावना कांत- कांत बिहार के दरभंगा जिले से ताल्कुक रखती हैं और उनके पिता इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में अधिकारी हैं। भावना हमेशा से ही विमान उड़ाना चाहती थी लेकिन वह पहले इंजीनियर बनीं। राजस्थान के कोटा में इंजीनियरिंग प्रवेश की तैयारी करने के बाद उन्होंने बंगलूरू के बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की। उन्हें कैंपस प्लेसमेंट के जरिए टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में नौकरी मिली लेकिन किस्मत ने शायद उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था। इसीलिए शॉर्ट सर्विस कमिशन की परीक्षा पास करने के बाद वह वायुसेना में आ गईं। वह हमेशा से ही पायलट बनना चाहती थीं लेकिन लड़ाकू पायलट के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था।

अवनी चतुर्वेदी- मध्यप्रदेश के रेवा जिले की बुलबुल हमेशा से ही ऊंची और बहुत ऊंची उड़ान भरना चाहती थीं। वह हमेशा से अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की तरह बनना चाहती थीं। अपवनी के पिता दिनकर चतुर्वेदी पेशे से इंजीनियर और मां सविता गृहिणी हैं। उनके भाई भारतीय सेना में हैं उन्होंने उन्हें अपने सपनों को मंजिल तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया। वह अपने कॉलेज के फ्लाइंग क्लब की सदस्य रह चुकी हैं।

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