रागनी शादीशुदा हैं. उनके माता-पिता को गुजरे सात साल बीत चुके हैं. वह जानना चाहती हैं कि क्या विरासत की प्रॉपर्टी पर शादीशुदा बेटी का कानूनी हक होता है? खासतौर से यह देखते हुए कि माता-पिता का निधन कई साल पहले हो चुका है.
वरिष्ठ एडवोकेट राजनारायण चौधरी ने बताया कि 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 में बदलाव हुआ है. इसमें पैतृक प्रॉपर्टी में बेटियों को बराबर का हिस्सा दिया गया है. विरासत की प्रॉपर्टी के मामले में अब बेटी का भी जन्म से हिस्सा बन जाता है. वहीं, खुद खरीदी गई प्रॉपर्टी वसीयत के अनुसार बांटी जाती है.
अगर पिता का निधन बिना वसीयत के हो जाता है तो पैतृक और पिता की प्रॉपर्टी पर बेटी का बेटे जितना अधिकार होता है.
इस मामले में बेटी के शादीशुदा होने से कोई लेनादेना नहीं है. शादीशुदा बेटी का कुंवारी बेटी जितना ही अधिकार है. यहां एक बात जरूर ध्यान देने वाली है. अगर पिता की मौत 2005 से पहले हुई है