‘तेरी दीवानी’, ‘सइयां’, ‘अल्लाह के बंदे’ और ‘या रब्बा’ जैसे सुपरहिट गानों से लोगों के दिलों पर धाक जमाने वाले मशहूर गायक कैलाश खेर किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। कैलाश की गायिकी मुख्य रूप से भारतीय लोकगीत और सूफी संगीत से प्रेरित है। इस लोकगीत और सूफी संगीत को और बढ़ावा देने के लिए कैलाश खेर 21 नवंबर को दिल्ली में एक बड़ा आयोजन करने वाले हैं।
कैलाश खेर के इस कार्यक्रम का नाम ‘मेहर रंगत फेस्टिवल’ है। इस कार्यक्रम का आयोजन कैलाश खेर अपने पिता मेहर खेर की 11वीं पुण्यतिथि पर दिल्ली के इंडिया गेट पर लाइव करने वाले हैं। कैलाश खेर के इस कार्यक्रम का मकसद भारत में विलुप्त हो रही विभिन्न कलाओं को बचाना है। इस कार्यक्रम में ढोल, ताशे, नगाड़े और डुगडुगी जैसे वाद्यों की धुनों पर कैलाश खेर खास प्रस्तुति देंगे।
यह लाइव कॉन्सर्ट दिल्ली में इंडिया गेट पर 21 नवंबर को होगा। कैलाश खेर के इस कार्यक्रम का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह कार्यक्रम के बारे में बता रहे हैं। कैलाश खेर का जन्म 7 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था। कैलाश खेर के पिता कश्मीरी पंडित थे और लोक गीतों में उनकी काफी रुचि थी। इसी वजह से बचपन से ही कैलाश खेर को भी संगीत का जुनून चढ़ गया था। महज चाल साल की उम्र से ही कैलाश खेर ने गाना शुरू कर दिया था।
कैलाश खेर को सिनेमाजगत में पहचान मिली ‘अल्लाह के बंदे’ गाने से। इस गाने की लोकप्रियता ऐसी रही कि इसके बाद कभी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बॉलीवुड में उन्होंने ‘रब्बा’, ‘ओ सिकंदर’ और ‘चांद सिफारिश’ जैसे गाने गाए हैं। इनमें से दो गानों के लिए कैलाश को फिल्मफेयर का बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड भी मिल चुका है।