स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने खुद को मुख्यमंत्री का विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) बताकर जिलों में तैनात अधिकारियों को धमकी देकर वसूली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। शुक्रवार शाम गिरोह के चार जालसाजों को सचिवालय के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। ये अलग-अलग नाम से अधिकारियों को जांच का आदेश होने बात कहकर वसूली करते थे। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे अब तक दो करोड़ रुपये से अधिक की वसूली कर चुके हैं।
गौरतलब है कि जिलों में तैनात कई अधिकारियों ने लोक भवन में शिकायत की थी। इनमें बताया गया था कि उन्हें जांच में फंसाने की बात कहकर कुछ लोग परेशान कर रहे हैं। इसकी जानकारी होने पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने एसटीएफ को जांच सौंप दी थी।
एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों में लखनऊ स्थित खुर्रमनगर के अतुल शर्मा उर्फ मनोज सिंह, राजाजीपुरम के प्रदीप कुमार श्रीवास्तव व बाजारखाला के रहने वाला राधेश्याम कश्यप और मैनपुरी निवासी प्रमोद दुबे उर्फ दयाशंकर सिंह उर्फ संतोष कुमार शामिल हैं। अतुल शर्मा सचिवालय के न्याय विभाग में सहायक समीक्षा अधिकारी पद से निलंबित है।
एसटीएफ निरीक्षक ज्ञानेंद्र राय के मुताबिक आरोपियों से 14 मोबाइल फोन, 22 सिमकार्ड, कई आधार व वोटर कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, एआरओ का परिचय पत्र और परिजनों के खातों में जमा 15 लाख रुपये की पर्चियां बरामद की गई हैं। एक रजिस्टर भी मिला है, जिसमें सरकारी अधिकारियों के नाम, पता व फर्जी जांच का ब्योरा दर्ज है। इसके अतिरिक्त एक कार, बाइक, 15 हजार रुपये, पांच पासबुक, छह चेकबुक, दो डीएल, दो सोने की चेन व पांच अंगूठी मिला है।
बरेली और एटा में गिरोह के खिलाफ दर्ज है मुकदमा
गिरोह के खिलाफ बरेली व एटा में अधिकारियों ने अवैध वसूली और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया था। बरेली में तैनात डायट प्राचार्य मुन्ने अली से जांच के नाम पर एक लाख रुपये की मांग की गई थी। जब उन्होंने उच्चाधिकारियों से बात की तो ठगी का पता चला। जबकि एटा के जेलर कुलदीप सिंह भदौरिया के पास मुख्यमंत्री के ओएसडी के नाम से फोन आया और इसमें जांच के नाम पर डराया गया। जेलर ने जब पता किया तो जांच की बात गलत निकली।
दो बार जेल जा चुका है अतुल शर्मा
एसटीएफ निरीक्षक ज्ञानेंद्र राय के मुताबिक वर्ष 2007 में अतुल शर्मा को अफसरों से अवैध वसूली के आरोप में जेल जाना पड़ा था। वहां से छूटने के बाद वर्ष 2010 में चित्रकूट के तत्कालीन डिप्टी एसपी अखिलेश्वर पांडेय को धमकाकर पैसे की मांग की थी। इस पर फिर उसे जेल जाना पड़ा था।
दोनों मामलों में हजरतगंज थाने में ही मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से वह निलंबित चल रहा है और उसकी बर्खास्तगी की कार्रवाई भी चल रही है। राय ने बताया कि धमकाने पर जो अधिकारी या कर्मचारी झांसे में आ जाते, उन्हें गिरोह के जालसाज सचिवालय के पास बुलाते थे। इसके बाद अतुल अपने साथियों प्रदीप व राधेश्याम को पैसे लेने के लिए भेज देता था। ये लोग जांच का फर्जी आदेश भी पास रखते थे।