वैट में वार्षिक कारोबार पांच लाख रुपये से ज्यादा होने पर पंजीकरण होता था। जबकि, जीएसटी में यह सीमा 20 लाख रुपये है। ऐसे कारोबारियों की संख्या तीस हजार से ज्यादा है, जिन्होंने अब तक पंजीयन नहीं कराया है।
वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, बलिया, भदोही, सोनभद्र, मिर्जापुर, आजमगढ़, मऊ आदि 12 जिलों के जिन व्यापारियों का टिन रद्द किया गया है, उन्होंने एक साल या उससे अधिक समय से रिटर्न दाखिल नहीं किया है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक सैकड़ों और भी व्यापारी हैं जिन्होंने वार्षिक विवरणी नहीं जमा किया है। उन पर भी जल्द गाज गिर सकती है।
वाणिज्य कर कमिश्नर मुकेश कुमार मेश्राम के निर्देशानुसार जल्द ही वाराणसी जोन के एडिशनल कमिश्नर आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय बैठक भी करेंगे।
इसमें जिन व्यापारिक फर्मों पर छापे की कार्रवाई की गई है, उनके बारे में जानकारी कर उन पर देय वैट का आंकलन किया जाएगा।
वाराणसी परिक्षेत्र के एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-वन एके गोयल ने बताया कि रिटर्न जमा नहीं करने वाले व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
वाराणसी परिक्षेत्र के जिलों में 98 हजार 782 पंजीकृत व्यापारी हैं।