कोरोना की तीसरी लहर में माना जा रहा है कि बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। शहर में अगर ऐसी स्थिति बनी तो बच्चों की जान पर बन आएगी। क्योंकि यहां बालरोग विशेषज्ञों का टोटा है। महज 160 (सरकारी, निजी दोनों मिलाकर) ही विशेषज्ञ हैं, जबकि एक से 15 साल तक के बच्चों की आबादी तकरीबन पांच लाख है। ऐसे में तीन हजार बच्चों पर एक बालरोग विशेषज्ञ है।
भारतीय बालरोग अकादमी का कहना है कि तीसरी लहर में करीब 50 हजार बच्चे संक्रमित हो सकते हैं। इस हिसाब से 312.5 संक्रमित बच्चों पर एक बालरोग विशेषज्ञ होगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों की चिकित्सा व्यवस्था को इतना गंभीरता से इसके पहले लिया ही नहीं गया। सारा ध्यान बड़ों के इलाज पर ही रहा है तो संसाधन विकसित नहीं किए गए।
डॉक्टरों की संख्या के साथ ही बच्चों के इलाज के बेड का भी मसला है। निजी क्षेत्र के अस्पतालों में अगर देखें तो दो-ढाई सौ से अधिक बेड अस्पतालों में नहीं हैं। भारतीय बालरोग अकादमी ने भी अभी बेड की संख्या का ब्यौरा तैयार नहीं किया है। इसके अलावा हैलट के बालरोग अस्पताल में इस वक्त 120 बेड हैं। अगर सौ बेड का आईसीयू और आइसोलेशन वार्ड बन गया तो बेड की संख्या 220 हो जाएगी।
इस तरह अधिकतम पांच सौ बेड तक की ही व्यवस्था हो पा रही है। भारतीय बालरोग अकादमी के अध्यक्ष डॉ. अम्ब्रीश गुप्ता का कहना है कि बालरोग विशेषज्ञता के दायरे में शून्य से 18 साल तक लड़के-लड़कियां आते हैं। आकलन के मुताबिक इनकी संख्या नगर में आठ लाख है। 15 साल तक के बच्चे करीब पांच लाख हैं। पांच लाख बच्चों में 10 फीसदी को संक्रमण का आकलन है। बहरहाल स्थिति से निपटने की व्यवस्था बनाई जा रही है। कुछ निजी अस्पतालों से सौ-सौ बेड की व्यवस्था के लिए कहा जा रहा है।
स्टाफ ट्रेनिंग का अकादमी का मॉड्यूूल मंजूर
भारतीय बालरोग अकादमी की नगर शाखा के अध्यक्ष डॉ. अम्ब्रीश गुप्ता का मॉड्यूल डीजीएमई कार्यालय ने मंजूर किया है। इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। डॉ. गुप्ता ने बताया कि पांच दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए रखा गया है। इसमें उपकरणों के इस्तेमाल करने के तरीके बताए जाएंगे।
सौ बेड के आईसीयू बनने के बाद स्टाफ की जरूरत
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल ने बताया कि हैलट में सौ बेड का आईसीयू बनने के बाद स्टाफ की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए बालरोग विशेषज्ञ के अलावा पैरा मेडिकल स्टाफ की भी जरूरत होगी। संभावित तीसरी लहर में बच्चों के साथ बड़े भी संक्रमित हो सकते हैं। स्टाफ की कमी पूरी करने के संबंध में शासन के समक्ष अपनी बात रखेंगे।
यह व्यवस्था की जा रही है
- सौ बेड में 50 आइसोलेशन, 20 आईसीयू और 30 एचडीयू के होंगे
- हर बेड पर बच्चे के साथ एक तीमारदार भी रहेगा
- अस्पताल के किचन में बच्चों की उम्र के लिहाज से खाना बनाया जाएगा
- वेंटिलेटर और बाईपेप के बजाए हाई फ्लो नेजल कैनुला (एचएफएनसी) पर जोर