इसके बाद कुलबीर का पूरा परिवार साथ रहने लगा व कालरा दंपती की संपत्ति व व्यवसाय की देखभाल करने लगा। मार्च 2017 में उनके पति प्रीतम ङ्क्षसह कालरा की मौत हो गई। इसके बाद कुलबीर सिंह कालरा ने उनकी देखभाल करना छोड़ दिया और शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगा। इतना ही नहीं कुलबीर ने उनके घर पर कब्जा जमा लिया और जेवरात आदि छीन लिए। उनके खाते से करीब 20 लाख रुपये की निकासी भी अलग-अलग तिथियों में कुलबीर ने कर ली।   कुलबीर का पूरा परिवार साथ रहने लगा व कालरा दंपती की संपत्ति व व्यवसाय की देखभाल करने लगा। मार्च 2017 में उनके पति प्रीतम ङ्क्षसह कालरा की मौत हो गई। इसके बाद कुलबीर सिंह कालरा ने उनकी देखभाल करना छोड़ दिया और शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगा। इतना ही नहीं कुलबीर ने उनके घर पर कब्जा जमा लिया और जेवरात आदि छीन लिए। उनके खाते से करीब 20 लाख रुपये की निकासी भी अलग-अलग तिथियों में कुलबीर ने कर ली।                       पूरे मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि, उम्र के 80 वर्ष में एक विधवा आखिर राहत के लिए अपने पुत्र के खिलाफ कोर्ट के दरवाजे पर क्यों पहुंचेगी, जबकि वह ठीक से चल व बोल भी नहीं सकती। अंत में न्यायालय ने विपक्षियों को पीडि़ता का घर छोडऩे, घर के किसी भी हिस्से में प्रवेश नहीं करने और पीडि़ता के चिकित्सीय खर्च के लिए प्रतिमाह के 11 तारीख तक 50 हजार रुपये देने का आदेश पारित किया। अदालत ने साथ ही पीडि़ता की सुरक्षा व आदेश का अनुपालन के लिए आदेश की प्रति स्थानीय पुलिस को भी दिए जाने का निर्देश दिया है। पीडि़ता के वकील नवल किशोर ने कहा कि न्यायालय का यह आदेश जिले के लिए ऐतिहासिक है।