उत्तराखंड के सीएमत्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा आज शाम कर दिया गया है . उसके बाद साफ़ हो गया की यूपी सीएम मनोज सिन्हा का बनना तय है . कल शाम विधायक दल की बैठक में घोषणा करने की औपचारिकता बाकी रह गई है .
यूपी के सीएम की घोषणा शनिवार को लखनऊ में पार्टी पर्यवेक्षकों की विधायकों के साथ बैठक के बाद की जा सकती है. त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम की घोषणा विधायक दल के नेता चुने जाने की औपचारिकता के बाद अधिकारिक घोषणा कर दिया गया है .
सिन्हा का यूपी के सबसे अहम और बड़े प्रदेश में सर्वोच्च पद पर पहुंचना फिर से दिखाता है कि मोदी व शाह किसी जात-पात की मानक के बजाय काम करने की आधार पर तय होगा . आईआईटी-बीएचयू से सिविल इंजिनियरिंग कर चुके मनोज सिन्हा तीसरी बार सांसद बने हैं. केंद्रीय संचार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रेल राज्य मंत्री के रूप में उनकी छवि जानबूझकर खबरों से दूर रहने वाले में लेकिन अच्छा काम करने शख्स की है, जो बात से ज्यादा काम से बोलता है. मोदी विजय दिवस के मौके पर संकेत दे चुके है की सुर्खियों से दूर रहने वाला सीएम बनेगा .
उनकी सबसे बड़ी खासियत संचार मंत्री के रूप में बड़े कॉरपोरेट से लेकर रेलवे में जमीनी कर्मचारी यूनियन के साथ समान सहजता से संवाद साधना है. वह कई साल पहले बीएचयू के छात्र संघ अध्यक्ष रहे हैं. वह मृदुभाषी, शिष्ट और स्पष्ट हैं, धोती और लंबे कुर्ते में उनकी छवि जमीन के जुड़े शख्स की बनती है.
चुनाव से पहले से लेकर नतीजों के आने पर मोदी और शाह की सोशल इंजिनियरिंग के बारे में काफी कुछ कहा गया है. लेकिन सिन्हा को चुनकर उन्होंने सीधा संदेश दिया है कि जाति और समुदाय की चिंताएं गवर्नेंस से जुड़े फैसलों पर असर नहीं करते, कमान किसके हाथ में है यह मायने नहीं रखता. वाराणसी में अपनी आखिरी सभा में पीएम मोदी ने रेल मंत्रालय में सिन्हा के काम की जमकर तारीफ की थी.
मोदी ने इन परंपराओं को तोड़ा है कि मुख्यमंत्री जातिगत ताकत का प्रतिनिधि हो. पीएम ने उन्हें चुना है जो बेहतर नतीजे दे सकते हैं. शायद उन्होंने इसके लिए खुद से ही प्रेरणा ली है. मोदी की अपनी जाति का गुजरात में खास प्रतिनिधित्व नहीं है लेकिन फिर भी वह राज्य के और इसके बाद देश के सबसे प्रिय नेता बन गए. उन्होंने फिर दिखाया है कि वह साहसी फैसले लेने से पीछे नहीं हटते अगर उन्हें ये फैसले लोगों के लिए लंबी हित के फायदे में लगते हैं.
सिन्हा को मोदी-शाह का भरोसा हासिल है और उनके गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी अच्छे रिश्ते हैं.
सूत्रों ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह को सर्वमान्य रूप से सबसे बड़े नेता के रूप में देखा जा रहा था और उनमें 15 साल फिर से सीएम पद संभालने की सभी योग्यताएं भी थीं. लेकिन राजनाथ के कद और राजनीतिक फलक पर उनकी स्वीकार्यता को देखते हुए मोदी और शाह को लगता है कि उनकी दिल्ली में अधिक जरूरत है.
रक्षा मंत्री का पद खाली होने (पर्रिकर गोवा के सीएम बन गए हैं), विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का स्वास्थ्य बहुत अच्छा न होने और वित्त मंत्री अरुण जेटली का विपक्ष के साथ छत्तीस का आंकड़ा होने से मोदी को लगता है कि उन्हें सरकार की राजनीतिक समस्याओं को सुलझाने के लिए और गृह मंत्रालय संभालने के लिए राजनाथ सिंह की जरूरत है.
राजनाथ सिंह जिन्होंने ठीक 15 साल उत्तर प्रदेश सीएम का पद छोड़कर राष्ट्रीय राजनीति का रुख किया था, अभी केंद्र में अपनी जिम्मेदारी से खुश हैं.