आतंकियों व अलगावादियों ने तीन दशक तक कश्मीर को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन कश्मीर की बेटियां बेखौफ होकर इसकी फिजा संवारने में जुटी थीं। इनमें बिलकीस मीर भी हैं, जो अलगाववादियों का गढ़ कहलाने वाले डाउन-टाउन के खनयार की रहने वाली हैं। कश्मीर में रूढ़िवादी मानसिकता और विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर कश्मीर की युवा पीढ़ी को संदेश दिया है कि आगे बढ़ो, हिम्मत न हारो।
बिलकीस ओलंपिक क्वालीफाइंग राउंड के लिए एशियाई केनोइंग फेडरेशन की ओर से चुने गए 20 जजों में एक हैं और पहली भारतीय महिला जज हैं। वह वाटर स्पोर्ट्स के विभिन्न खेलों विशेषकर केनोइंग (डोंगी चालन) की कोच भी हैं। बिलकीस कहती हैं कि जब मैंने वाटर स्पोट्र्स को चुना तो उस समय यहां कोई लड़की इस खेल में शामिल होने के बारे नहीं सोचती थी। मेरे घर में और मुहल्ले में विरोध हुआ। बाद में मां बड़ी ताकत बनकर सामने आई। मां मेरा मनोबल बढ़ाते हुए कहती थी, अगर लोगों का मुंह बंद करना है तो खुद को साबित करके दिखाओ। डरो नहीं, आगे बढ़ो। मैं जितनी बार टूटी, मेरी मां ने मुझे उतनी बार मुझे दोबारा खड़े होने की हिम्मत दी। पुलिस की वाटर स्पोट्र्स प्रतियोगिता में विजेता बनने के बाद मेरी किस्मत ने पलटा खाया। इसके बाद मेरी मां मेरे पीछे मजबूत दीवार बनकर खड़ी हो गई।
यह मेरे लिए बहुत गौरव की बात : 21 मार्च को थाईलैंड में ओलंपिक क्वालीफाइंग राउंड प्रतियोगिता के लिए जज चुनी गईं बिलकीस ने कहा कि यह मेरे लिए बहुत गौरव की बात है। एशियाई मुल्कों के बेहतरीन खिलाड़ियों का मूल्यांकन करना मेरी जिम्मेदारी होगी। हमारे पूरे मुल्क में कई दरिया, झीलें और अन्य जलस्नोत हैं। समुद्र भी है। बावजूद हम वाटर स्पोट्र्स पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। ओलंपिक खेलों में केनोइंग व कर्यांकग में 16 गोल्ड मेडल हैं।
डल में 600 खिलाड़ियों को किया तैयार : डल झील की मौजूदा स्थिति और उसमें उपलब्ध सुविधाओं का जिक्र करते हुए बिलकीस ने कहा कि अगर यह झील न होती तो मैं भी नहीं होती। यहां से हमने केनोइंग और कर्यांकग के 600 खिलाड़ियों को तैयार किया है।