भाजपा ने अपने संगठन को विस्तार के लिए जिन राज्यों का चयन किया है, उनमें ओडिशा प्रमुख है। पार्टी की योजना पूर्वी और तटीय राज्यों में अपना आधार मजबूत करने की है। यही कारण है कि भुवनेश्वर से पहले पार्टी ने तटीय राज्य केरल में कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया था।
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि चूंकि ओडिशा पूर्वी राज्यों के साथ तटीय राज्यों में भी शामिल है। ऐसे में भुवनेश्वर कार्यकारिणी से इन सभी राज्यों को व्यापक राजनीतिक संदेश दिया जा सकेगा। निकाय चुनाव में पार्टी को ओडिशा में जबरदस्त सफलता हासिल हुई है। इसलिए पार्टी नेतृत्व का ध्यान राज्य विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त प्रदर्शन करने पर है।
शनिवार को प्रधानमंत्री के स्वागत की भी राज्य इकाई ने जबरदस्त तैयारी की है। पार्टी इकाई की योजना प्रधानमंत्री को रोड शो की शक्ल में एयरपोर्ट से बैठक स्थल जनता मैदान ले जाने की है। शुक्रवार को यहां पहुंचे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह मोटरसाइकिलों के काफिले के साथ एयरपोर्ट से बैठक स्थल पहुंचे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, दो दिवसीय बैठक के दौरान पार्टी के नेता दलितों, आदिवासियों को मजबूती के साथ पार्टी से जोड़ने की रणनीति तैयार करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी नकद लेन देन के बदले डिजिटल लेन देन को प्रोत्साहित करने का आह्वान करेंगे। कार्यकर्ताओं को लगातार व्यस्त रखने के लिए बैठक में कई तरह के कार्यक्रमों की भी घोषणा की जाएगी।
सुषमा को छोड़ सभी बड़े नेता होंगे शामिल
पार्टी के सभी बड़े नेता कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेंगे। हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वास्थ्य कारणों से इससे अलग रहेंगी। केंद्रीय तेल एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘सुषमा जी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नहीं हो पाएंगी। उन्हें डॉक्टरों ने आराम करने की सलाह दी है।’ सभी केंद्रीय मंत्री, भाजपा शासित 13 राज्यों के मुख्यमंत्री और तीन उपमुख्यमंत्री भी कार्यकारिणी में शामिल होंगे।