उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के धनोरा में तीन दशकों से चली आ रहीं खूनी रंजिश में रविवार को एक और जान चली गई। धनोरा गांव निवासी धर्मपाल अपनी कार से पशुओं को चारा लेकर पत्नी रविंद्री, दोनों बेटे संदीप और जितेंद्र, सुरक्षा गार्ड पुष्पेंद्र के साथ खेतों से घर लौट रहे थे। जैसे ही कार गांव में घर जाने वाली गली के मोड़ पर पहुंची, तभी घात लगाए बैठे बदमाशों ने उनपर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। वारदात में कार सवार धर्मपाल को दो गोली, संदीप को सिर में, सुरक्षा गार्ड पुष्पेन्द्र को पेट और बाजू में तथा वहां से गुजर रहे गांव निवासी पवन पुत्र इंदर को गोली लगी। इसके तुंरत बाद सभी को अस्पताल ले जाया गया जहां संदीप की मौत हो गई।
बुलंदशहर के गांव धनोरा में दो पक्षों के बीच नब्बे के दशक से शुरू हुई खूनी संघर्ष में अब तक 14 लोगों की जान जा चुकी हैं। 1990 में होली पर्व पर हुए खूनी संघर्ष में एक पक्ष के सन्नू, इंदर, महेंद्र व रामवीर को मौत के घाट उतार दिया गया। वहीं, दूसरे पक्ष से वीरपाल, वेदपाल, तेजपाल, अगम को मौत के घाट उतार दिया गया। इसके बाद 2005 में श्रृंगारी देवी, नीरज, रविंद्र, जगपाल कालीचरण, की हत्या कर दी गई। हत्याओं को लेकर पांच लोग आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। वहीं, अब रविवार को हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में संदीप की जान चली गई।
वहीं रविवार को हुई इस घटना को लेकर पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। मौके पर एडीजी, आईजी ने पहुंचकर घटना की जानकारी ली। एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि गांव धनोरा में हुए हमले की घटना के पीछे दो पक्षों में चली आ रही रंजिश सामने आई है। घटना में युवक संदीप की मौत हो गयी है। मामले की गहनता से जांच की जा रही है। मामले को लेकर चार टीमें बनाई गई हैं, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
बदमाशों ने करीब 40 राउंड फायरिंग की
बदमाशों ने धर्मपाल के परिवार पर करीब 40 राउंड फायरिंग की और मौके से फरार हो गये। फायरिंग में धर्मपाल को दो, संदीप को सिर में, सुरक्षा गार्ड पुष्पेन्द्र को पेट और बाजू में तथा वहां से गुजर रहे गांव निवासी पवन पुत्र इंदर को गोली लगी।