उड़ीसा की केंद्रपारा लोकसभा से सांसद पांडा ने ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी, जिसे दो हजार से ज्यादा बार री ट्वीट किया जा चुका है। बता दें कि सरकार और विपक्ष की खींचतान के कारण इस बार संसद का पूरा सत्र धुल गया।
एक दो बिल को छोड़कर कोई महत्वपूर्ण कार्य इस बार संसद के दोनों सदनों में नहीं हो पाया। सरकार और विपक्ष इसका ठीकरा एक दूसरे के ऊपर फोड़ते रहे। इसको लेकर राज्यसभा के सभापति उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भी काफी निराश नजर आए।
सुमित्रा ने कई बार बयान किया वो चाहती हैं कि संसद सुचारू रूप से चले लेकिन सांसद उनकी सुनने को तैयार ही नहीं है। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आड़वाणी तो इससे खासे व्यथित नजर आए और यहां तक कह दिया कि उनका मन इस्तीफा देने का कर रहा है।
आलम ये रहा कि लोकसभा की कार्यवाही के 92 घंटों में से मात्र 19 घंटे ही कार्य हो सका जबकि राज्यसभा में 86 में से मात्र 22 घंटे ही काम हो पाया। वहीं संसद की कार्यवाही न चलने पर सरकार और विपक्ष की भी जमकर आलोचना हुई कि उनके कारण इसमें लगने वाली जनता की कमाई यूं ही जाया हो गई। इसी को देखते हुए बीजेडी सांसद बैजयंत पांडा ने सत्र के दौरान का अपना वेतन वापस करने का निर्णय लिया है।
एएनआई से बातचीत करते हुए पांडा ने कहा कि इसको लेकर मेरी अंतररात्मा मुझे लगातार परेशान कर रही थी। हमें क्या करना चाहिए था और हम वो कर नहीं रहे हैं।
इसके विरोध स्वरूप ही मैंने अपना वेतन वापस करने का निर्णय लिया है। पिछले 4-5 साल से मैं यह कर रहा हूं, हर सत्र के अंत में खराब हुए सत्र के दौरान की अपनी सेलरी वापस कर देता हूं।