बिहार के मुजफ्फरपुर में शराब कांड समेत छह आपराधिक मामले में शामिल आरोपितों के बेल को लेकर नीतीश सरकार के दो विभागों में ठन गई है। इस मामले में एसएसपी और अभियोजन अधिकारी आमने- सामने आ गए हैं। इस पर दोनों के बीच पत्राचार का सिलसिला जारी है। समय पर चार्जशीट नहीं दाखिल होने से जनवरी से मध्य मार्च तक छह मामले में आरोपितों को बेल मिलने पर जिला अभियोजन अधिकारी (डीपीओ) जेसी भारद्वाज ने संबंधित जांच अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए एसएसपी को पत्र लिखा था।
इसके बाद एसएसपी जयंतकांत ने 15 मार्च को जिला अभियोजन अधिकारी को पत्र लिखकर आरोपितों पर अदालतों में होने वाली कार्रवाई की सूचना समय पर उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी सौंपी। इस पर डीपीओ ने आपत्ति जतायी है। उन्होंने शुक्रवार को बताया कि एसएसपी का पत्र मिला है। इस संबंध में शीघ्र ही पत्र लिखकर एसएसपी को जवाब दिया जायेगा।
एसएसपी जयंतकांत ने डीपीओ को लिखे पत्र में कहा है कि आपके ही पत्र से जानकारी मिली है कि जनवरी से मध्य मार्च तक छह मामले में आरोपितों को धारा 167 (2) के तहत बेल मिली। आरोपितों को किस-किस कांडों में रिमांड किया गया, इसकी सूचना नहीं दी जाती। रिमांड स्वीकार या अस्वीकृत किए जाने की सूचना वरीय अधिकारी को नहीं दी जा रही है। सूचना देने की जिम्मेवारी जिला अभियोजन अधिकारी की है। लेकिन, ऐसा नहीं होने से आरोपितों को धारा 167 (2) का लाभ मिल रहा है। जेल भेजे गए आरोपितों की निर्धारित अवधि पूरी होने की जानकारी वरीय अधिकारी व जांच अधिकारी को निश्चित रूप से दी जाए। ताकि समय पर चार्जशीट किया जा सके।
मामले में मुजफ्फरपुर एसएसपी जयंतकांत ने कहा कि सूचना देने की जिम्मेवारी जिला अभियोजन अधिकारी की है। लेकिन, ऐसा नहीं होने से आरोपितों को धारा 167 (2) का लाभ मिल रहा है।
वहीं डीपीओ जेसी भारद्वाज ने कहा कि आरोपितों की रिमांड और अन्य कार्रवाई की सूचना देने की जिम्मेवारी अभियोजन अधिकारी की नहीं होती है। यह जिम्मेदारी संबंधित आईओ की है।