बिहार में ड्राइविंग लाइसेंस बनने की प्रक्रिया में हो रहा बड़ा बदलाव, अब ऐसे मिलेगा लाइसेंस

बिहार में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में सरकार बड़ा उलटफेर करने जा रही है। आने वाले दिनों में एमवीआई के सामने होने वाले टेस्ट नहीं होंगे। राज्य में खुलने वाले ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल से ही प्रमाण पत्र लेना काफी होगा। उसी के आधार पर चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाएगा। परिवहन विभाग इस प्रस्ताव पर फिलहाल काम कर रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही विभाग की ओर से इस बाबत आदेश जारी किया जाएगा।

बिहार में अभी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन के बाद लर्निंग लाइसेंस दिया जाता है। अंतिम तौर पर लाइसेंस देने के पहले आवेदकों को गाड़ी चलाने के लिए टेस्ट देना होता है। दोपहिया वाहन के लिए लाइसेंस लेने पर आमतौर पर अंग्रेजी अक्षर आठ तो कार का लाइसेंस लेने वालों से पीछे चलाकर आने-जाने को कहा जाता है। इस जांच की जिम्मेवारी अमूमन मोटरयान निरीक्षक (एमवीआई) के पास रहती है, लेकिन एमवीआई की परीक्षा में 99 फीसदी पास तो सड़क पर 80 फीसदी फेल हो रहे चालकों के मद्देनजर विभाग अब इस व्यवस्था में परिवर्तन करने जा रहा है।

पिछले दिनों परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने विभागीय अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। इसमें उन्होंने साफ कहा कि अब ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए खुलने वाले ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल से ही प्रमाण पत्र लेना काफी होगा। आवेदकों को एमवीआई के समक्ष जांच प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं होगी। चूंकि राज्य में खुलने वाले 61 प्राइवेट ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसलिए इसकी प्रबल संभावना है कि जल्द ही विभाग की ओर से इस बाबत आदेश जारी हो जाए।

आवेदकों को यह होगी सुविधा
विभागीय जांच से मुक्ति मिलने पर लोगों को सरकारी कार्यालय में भागदौड़ की जरूरत नहीं होगी। हर जिले में खुलने वाले ट्रेनिंग स्कूल में एक महीने तक प्रशिक्षण लेना होगा। इस अवधि में वे गाड़ी चलाने की सभी बारीकियों को समझ लेंगे। इसलिए आवेदकों को परेशानी नहीं होगी। वे ट्रेनिंग स्कूल से मिलने वाले सर्टिफिकेट के आधार पर ही आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर लेंगे।

वसूली का केंद्र बन सकता है स्कूल 
अभी सरकारी पदाधिकारियों पर सुविधा शुल्क लेकर बिना जांच के ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के आरोप लगते हैं। अगर पूरी तरह निजी हाथों में यह प्रक्रिया चली जाएगी तो फिर ट्रेनिंग स्कूल वसूली का केंद्र नहीं बनेगा, बिना प्रशिक्षण के ही प्रमाण पत्र नहीं मिलेंगे, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। चूंकि बड़े जिलों में अधिकतम तीन तो छोटे जिलों में एक ही स्कूल होंगे। ऐसे में प्राइवेट ट्रेनिंग स्कूल में मनमानी नहीं हो, वसूली का केंद्र न बने, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो जिस तरह से बिहार में सड़क दुर्घटना में वृद्धि हो रही है, उसके लिए यह जरूरी है कि प्राइवेट ट्रेनिंग स्कूल से सर्टिफिकेट लेने के बाद ही लोगों को आवेदन के लायक माना जाए। इसके बाद एमवीआई की ओर से जांच के बाद ही लाइसेंस जारी किए जाएं तभी सड़क दुर्घटना में कमी आ सकेगी।

खुलने वाले 61 ट्रेनिंग स्कूल 
पटना, मुजफ्फरपुर, गया, पूर्णिया व भागलपुर में तीन-तीन तो वैशाली, सीवान, समस्तीपुर, रोहतास, मोतिहारी, दरभंगा, बेतिया, भोजपुर, औरंगाबाद, बेगुसराय, गोपालगंज, मधुबनी व नालंदा में दो-दो ड्राईविंग ट्रेनिंग स्कूल खुलेंगे। जबकि बाकी जिले अररिया, अरवल, बांका, बक्सर, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, मुंगेर, नवादा, सहरसा, शेखपुरा, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल व गोपालगंज में एक-एक स्कूल खोलने पर काम चल रहा है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com