बिहार: औरंगाबाद सदर अस्पताल में मरीज की मौत के बाद हंगामा, डॉक्टर को बनाया बंधक, पिटाई भी की, आहत डॉ. बोले- यही है कोरोना योद्धा का सम्मान

बिहार के औरंगाबाद सदर अस्पताल में मंगलवार की रात एक व्यक्ति की मौत होने के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया। यहां ड्यूटी पर तैनात डा. अरुण कुमार की लोगों ने पिटाई कर दी और उन्हें बंधक बना लिया। इसके साथ ही नर्सों के साथ भी दुव्र्यवहार किया गया। इसकी सूचना नगर थाना पुलिस को दी गई, जिसके बाद पहुंची पुलिस ने मामला संभाला। 

पुलिस को जानकारी देने के दौरान डॉ.अरुण कुमार रो पड़े। उन्होंने कहा कि यही कोरोना योद्धा का सम्मान है। उन्होंने बताया कि मंगलवार को उन्होंने 50 से ज्यादा मरीजों को देखा था, जिसमें से लगभग 10 से 12 मरीजों को रेफर करना पड़ा। सुविधाएं कम हैं और ऐसे में इलाज करने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि इसमें न्याय नहीं हुआ तो वह काम करने में असमर्थ रहेंगे। मामले की सूचना सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को दी गई तो उन्होंने कहा कि वे अधिकारियों से बात कर रहे हैं। घटना के कई घंटे बीतने के बाद भी सुबह 6:30 बजे तक ना तो स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी ने डॉक्टर की सुध ली और ना ही कोई देखने आया। 

डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि वे रात में ड्यूटी पर थे। इसी बीच औरंगाबाद के ही शिवकुमार शर्मा, जिनकी उम्र 43 वर्ष थी, को यहां लाया गया। उन्होंने हालत देखकर कहा कि उन्हें हार्ट अटैक आया है। कुछ दवा दी गई और उन्हें रेफर किया गया। इसके बाद परिजनों ने ऑक्सीजन की मांग की। उन्होंने सलाह दी कि वे तत्काल एंबुलेंस से उन्हें दूसरी जगह ले जाएं, लेकिन परिजन नहीं माने। थोड़ी देर में बताया गया कि शिवकुमार शर्मा की मौत हो गई है। पुरुष वार्ड में वह देखने के लिए गए, जहां उनकी मौत हो चुकी थी। इसके बाद परिजनों ने उनके साथ गाली-गलौज की और मारपीट की। एक कमरे में उन्हें बंद कर दिया गया। कुछ समय के लिए बंधक बनाते हुए उन्हें लगातार मारा जाता रहा। यहां एक गार्ड मौजूद था, जिसने बचाने का प्रयास किया, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी।

इसके बाद नगर थाना पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने यहां आकर उन्हें कमरे से निकाला और फिर परिजन लाश लेकर चले गए। इधर ड्यूटी पर तैनात रही नर्स चंचला कुमारी, रीता वर्मा, संजू कुमारी और सरिता कुमारी ने कहा कि उनके अलावा एक ड्रेसर सुधीर गुप्ता रात्रि में ड्यूटी पर था। नर्सों ने कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं था, जिसके कारण उन्हें ऑक्सीजन नहीं लगाया गया। यह काम भी चतुर्थवर्गीय कर्मियों का है, लेकिन यहां कोई कर्मी मौजूद नहीं था। उनके साथ लोगों ने दुव्र्यवहार किया, जिसके बाद वे हट गई। कहा कि उन्हें यहां कोई सुरक्षा नहीं दी जाती है। आए दिन यहां मारपीट, गाली-गलौज आदि घटनाएं होती हैं। किसी की भी मौत होने की स्थिति में परिजन अपना सारा गुस्सा उन पर निकालते हैं और उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं है। 

इस संबंध में डीपीएम डा. कुमार मनोज ने बताया कि अस्पताल में 15 बड़े सिलेंडर उपलब्ध करा दिए गए हैं। यह दो से तीन दिन लगातार चल सकेगा। इसके अलावा आठ ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर उपलब्ध करा कर उसे चालू कर दिया गया है।े कहा कि सिविल सर्जन के स्तर से डॉक्टर और नर्सों से बात कर आंदोलन को समाप्त करा दिया गया है। सुरक्षा को लेकर डीएम और एसपी से बात हुई है, जिसके बाद सुरक्षा उपलब्ध कराने का आश्वासन मिला है। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर गाली गलौज की जाती है और मारपीट की धमकी मिलती है। मंगलवार की रात वे लोग नहीं हटती तो उनके साथ भी मारपीट हो जाती। भय और आतंक के माहौल में उन लोगों ने अपना समय काटा। कर्मियों में इस बात को लेकर निराशा थी कि ना तो सिविल सर्जन ने उनके बारे में पूछा और ना ही कोई अन्य अधिकारी देखने आए। उन्हें काम करते हुए लगभग सात महीने हो गए हैं और इसके बावजूद वे लोग खुद को असुरक्षित ही महसूस करती हैं। डीपीएम ने बताया कि सिलेंडर उपलब्ध था, लेकिन कुछ अन्य यंत्रों की कमी थी।

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