नियति की क्रूरता और महामारी की भयावहता देखिए कि नई नवेली सुहागन की मेहंदी भी अभी सूख नहीं पाई थी कि उसका सुहाग उजड़ गया। इससे दोनों की परिवारों में कोहराम मच गया, दुल्हन को अभी तक इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा जिसने सात जन्मों तक साथ रहने का वादा कर फेरे लिए थे, उसका सात दिन भी साथ न मिला।
चांदपुर से सटे गांव स्याऊ निवासी गीता देवी पत्नी स्व. छोटे सिंह की पुत्री बबली का विवाह 25 अप्रैल को बिजनौर के मोहल्ला जाटान निवासी रेखा देवी एवं अशोक कुमार के पुत्र अर्जुन के साथ हुआ था। कोरोना नियमों के तहत बहुत कम लोग शादी में आए थे। विधिवत विवाह संपन्न हुआ और परिजनों ने शुभ आशीष के साथ बबली को विदा किया। किसी को क्या पता था कि शादी के तीन दिन बाद ही उन्हें इतनी मनहूस खबर सुनने को मिलेगी।
यह मनहूस खबर जब गुरुवार सुबह बबली के घर आई तो घर में कोहराम मच गया और मोहल्ले में शोक छा गया। हर किसी के मुंह पर बस एक ही शब्द था कि अभी तो उसके हाथों की मेहंदी सूख भी नहीं पाई थी और उसके पति को भगवान ने छीन लिया। बताते हैं कि अर्जुन को बुखार आया था और उसी के चलते उसकी मौत हो गई।