अपनी दिलकश आवाज से लोगों को दीवाना बनाने वाली अल्का याग्निक आज अपना 51वां बर्थडे मना रही हैं। अल्का याग्निक ने बॉलीवुड को 30 सालों तक अपनी आवाजा से सजाए रखा। उन्हें भारत की सर्वश्रेष्ठ प्लेबैक सिंगर के तौर पर कई नेशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं। अल्का का जन्म कोलकाता के एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था।
उन्होंने अपनी मां शुभा याग्निक से शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया था। घर में संगीत का माहौल होने के कारण उनकी भी संगीत में रुचि बढ़ती गई। महज 6 साल की उम्र में उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था। अल्का कोलकाता आकाशवाणी में गाने लगी थीं। साथ ही वो भजन भी गाया करती थीं।
10 साल की उम्र में वो अपनी मां के साथ मुंबई आ गईं और फिल्म मेकर राज कपूर से मिलीं। राज कपूर को अलका की आवाज बहुत पसंद आई और उन्हें लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से मिलवाया। अल्का ने प्लेबैक सिंगर के रूप में अपने करियर की शुरुआत 1979 में आई फिल्म ‘पायल की झंकार’ से की थी।
अल्का ने जब अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘लावारिस’ का गाना ‘मेरे अंगने में’ गाया तो वो जबरदस्त हिट हुआ। इसके बावजूद अल्का को बॉलीवुड में पैर जमाने के लिए करीब 8 साल तक स्ट्रगल करना पड़ा। 1988 में आई फिल्म ‘तेजाब’ के गाने ‘एक दो तीन’ के बाद अलका को प्लेबैक सिंगर के रूप में पहचान मिल पाई।
इसके बाद तो अल्का ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अलका अब तक 700 फिल्मों में 20 हजार से ज्यादा गाने गा चुकी हैं। अलका ने 1989 में नीरज कपूर से शादी कर ली थी। फिलहाल उनके कोई बच्चे नहीं हैं। अल्का याग्निक कुछ समय से गाना नहीं गा रही हैं। इसकी वजह आज के संगीत में बदलाव को मानती हैं।
बॉलीवुड के गानों में इतना बदलावा आ गया है कि 90 के दशक के सिंगर जैसे कुमार शानू, उदित नारायण और अल्का याग्निक को काम मिलना ही बंद हो गया है। अल्का का मानना है कि बॉलीवुड में गानों की मधुरता खो गई है और उसकी जगह फूहड़ता ने ले ली है। उनका कहना है कि वो अच्छे गाने गाना चाहती हैं ना कि फूहड़।
7 बार फिल्मफेयर और दो नेशनल अवॉर्ड्स से नवाजी गईं अल्का की आवाज आज कल कम ही फिल्मों में सुनाई पड़ती है। साल 2016 में उन्होंने ऐसी तीन फिल्मों के लिए गाने गाए जो बॉक्सऑफिस पर सफल नहीं रही। इसी वजह से उनकी आवाज भी दब गईं। अब उनकी कोई पूछ-परख नहीं है।