पीएम के ठीक नीचे की कुर्सी संभालने वाले का कबूलनामा, मोदी नहीं खत्म कर सकते नकदी संकट!

नई दिल्ली। नोटबंदी को योजना के मुताबिक लागू नहीं हो पाने के पीछे बैंक अधिकारियों की भूमिका थी, जिन्होंने अपनी भूमिका उस तरीके से नहीं निभाई, जिस तरीके से उन्हें निभाना था। साथ ही यह इतने बड़े पैमाने पर हुआ जो प्रत्याशित नहीं था। यह बात नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कही।MODI-JI

उन्होंने 500 रुपये और 1,000 रुपये की नोटबंदी का यह कहते हुए बचाव किया कि यह काला धन से लड़ने और मुद्रा के डिजिटीकरण से परिचित कराने के लिए किया गया था।

उन्होंने कहा, “इसने बेहद मजबूत संकेत भेजा था कि सरकार काले धन से लड़ने को लेकर प्रतिबद्ध है।”

उन्होंने यह बात यहां कोलंबिया विश्वविद्यालय की दीपक और नीरा राज केंद्र द्वारा आयोजित भारत की आर्थिक नीति और प्रदर्शन व्याख्यान के बाद विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए कही।

 उन्होंने कहा, “यह एक विशाल कार्रवाई थी, जो लोग आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की आलोचना कर रहे हैं, वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि देश में नोटबंदी लागू करना कितना विशाल काम था।”

उन्होंने आरबीआई की प्रशंसा करते हुए कहा कि उसने नवंबर में वैश्विक स्तर पर दो बड़ी घटनाओं के बावजूद रुपये की विनिमय दर स्थिर रखने में सफलता पाई। ये दो घटनाएं हैं – ब्रेक्सिट और डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति चुना जाना। इन दोनों घटनाओं ने ज्यादातर विकासशील देशों पर उल्टा प्रभाव डाला है।

 

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