पाकिस्तान और चीन की तरफ से सीमा पर बढ़ती दोहरी चुनौतियों के बीच सरकार ने सीमित युद्ध जैसे हालात से मुकाबले की भी तैयारी शुरू कर दी है. इस कड़ी में एक बड़े बदलाव के तहत सेना के वाइस चीफ के वित्तीय अधिकारों में बढ़ोतरी करते हुए उन्हें सीधे 40 हज़ार करोड़ के सैन्य साज़ो समान की खरीद के अधिकार दे दिए गए है.
यानी अब सेना मुख्यालय रक्षा मंत्री और कैबिनेट की मंजूरी के बिना भी ज़रूरत पड़ने पर कभी भी लड़ाई के लिए 40 हजार करोड़ के हथियार और गोला बारूद खरीद सकेगी.
सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ समय में केंद्र सरकार ने न्यूनतम वॉर वेस्टेज रिज़र्व की सेहत भी सुधारी है. यानी एक बार में कम से कम 40 दिन की लड़ाई के लिए ज़रूरी हथियार व गोला बारूद की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया जा रहा है.
रक्षा सूत्रों के मुताबिक सितंबर 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से अब तक सेना ने करीब 12 हजार करोड़ के हथियार और बारूद की खरीदी कर चुकी है. सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है.
दरसअल, उरी में हुए आतंकी हमले के बाद सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के बीच हुए मंथन में सीमित सैन्य संघर्ष की आशंकाओं और तैयारियों का मुद्दा भी उठा था. इसके बाद ही सरकार ने महत्वपूर्ण हथियार और गोला बारूद खरीदने के लिए उपसेना अध्यक्ष की इमरजेंसी पावर को 12 हजार करोड़ कर दिया गया था. इसके बाद इस साल मार्च तक सेना ने 12 हजार करोड़ खर्च करके 19 रक्षा सौदे किए और महत्वपूर्ण बारूदों की खरीदी की. इनमें से 11 सौदे गोला बारूद के लिए किये गए.
सेना के पास करीब 46 तरह के महत्वपूर्ण हथियार हैं. जिसमें 10 तरह के हथियारों के कलपुर्जे हैं. जबकि 20 तरह के गोला बारूद और माइंस हैं. इसमें आर्टलरी और टैंक से जुड़ा गोला बारूद शामिल है. सेना हर समय किसी भी हालात में 40 दिन की लड़ाई की तैयारी रखती है.
सनद रहे कि 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम उस समय के सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने चिट्ठी लिखी थी जिसमें 40 दिन के वॉर रिजर्व न होने पर चिंता जताई गई थी. इस चिट्ठी के उजागर होने पर काफी विवाद भी हुआ था.