प्रदेश के 12 जिलों में दुधारू पशुओं की नस्ल सुधारने के साथ ही यूआईडी टैगिंग की जाएगी। इसके लिए पशुपालन विभाग ने प्रत्येक जनपद में 100 गांवों को चिन्हित किया है। मार्च 2020 तक एक गांव से दो पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कर टैगिंग करने का लक्ष्य रखा है।
टैगिंग के बाद नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड की एप पर पंजीकरण किया जाएगा। इससे पशुओं को लावारिस छोड़ने पर मालिक का पता भी लगेगा। वहीं, पशुओं के टीकाकरण का रिकॉर्ड भी आनलाइन किया जाएगा। केंद्र ने पशुपालन व्यवस्था को बढ़ावा देने को पशु प्रजनन के लिए राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान योजना शुरू की है।
पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस योजना को ऊधमसिंह नगर व हरिद्वार जनपद में चलाया गया था। अब ऊधमसिंह नगर को छोड़ कर सभी 12 जिलों में छह माह के इस योजना को चलाया गया है। जिसमें दुधारू पशु का कृत्रिम गर्भाधान के बाद यूआईडी टैगिंग की जाएगी। जिसमें 12 अंकों का टैग पशु को लगाया जाएगा। टैगिंग से पशु का पंजीकरण आनलाइन होगा।
इससे विभाग के पास पशु के उपचार का रिकॉर्ड उपलब्ध रहेगा। यदि कोई किसान पशु को लावारिश छोड़ देता है तो टैगिंग से मालिक की पहचान हो जाएगी। निदेशक पशुपालन डॉ. केके जोशी का कहना है कि प्रत्येक जिला मेें 100 गांव योजना में चिन्हित किए गए हैं।
हर गांव से 200 पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान करने का लक्ष्य रखा है। इससे प्रदेश में दुग्ध उत्पाद बढ़ेगा और पशु नस्ल में सुधार होगा। साथ ही यूआईडी टैगिंग से लावारिश पशुओं की समस्या भी दूर होगी।