योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की कोरोनिल बीते दिनों सुर्खियों में रही। कंपनी और खुद योग गुरु का दावा था कि यह महामारी के खिलाफ लड़ाई में काफी कारगर है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने लोकसभा को बताया है कि आखिर पतंजलि को इसका लाइसेंस कैसे मिला।
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है, ”उत्तराखंड के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने आयुष मंत्रालय द्वारा गठित एक समीक्षा समिति की सलाह के बाद इलाज का दावा किए बिना कोविड -19 के प्रबंधन में सहायक उपाय के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले कोरोनिल टैबलेट के लिए लाइसेंस प्रदान किया है।”
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक लिखित जवाब में कहा कि आयुष मंत्रालय द्वारा गठित इंटरडिसिप्लिनरी टेक्निकल रिव्यू कमेटी (ITRC) ने पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा “दिव्य कोरोनिल टैबलेट” के ‘इम्युनिटी बूस्टर’ से ‘COVID-19 की दवा’ के लिए आयुष लाइसेंस को अपडेट करने के लिए जमा किए गए आवेदन की समीक्षा की।
समिति ने सुझाव दिया कि टैबलेट का इस्तेमाल कोविड प्रबंधन में सहायक उपाय के रूप में किया जा सकता है।
पवार ने अपने जवाब में कहा, ”पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट, हरिद्वार, उत्तराखंड द्वारा मंत्रालय को ‘इम्युनिटी बूस्टर से मेडिसिन के लिए दिव्य कोरोनिल टैबलेट के लिए आयुष लाइसेंस अपडेट’ शीर्षक से आवेदन दिया गया। 27 अक्टूबर, 2020 को आईटीआरसी के समक्ष जांच के लिए समक्ष रखा गया।“