पटना के युवा टेक्सटाइल इंजीनियर हर्ष लाल और उनकी टीम ने कोरोना से लड़ने के लिए ऐसा केमिकल तैयार किया है जो एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल है। इसे वायरोसाइड्स नाम दिया है और किसी भी तरह के कपड़े पर इस केमिकल को यूज कर सकते हैं। इस केमिकल को विभिन्न तरह के फैब्रिक के लिहाज से तैयार किया है। इस खास केमिकल की लेप चढ़ाईं इन चादरों की खासियत यह है कि यह कोरोना सहित किसी भी वायरस, बैक्टीरिया और फंगस के संक्रमण के प्रसार को रोकने में समर्थ हैं। 29 अक्टूबर से लेकर पांच नवंबर तक इस फैब्रिक की टेस्टिंग एपेक्स टेस्टिंग एंड रिसर्च लैबोरेटरी द्वारा की जा चुकी है। इसके अलावा यूरोफेंस लैब ने भी इस प्रोडक्ट से जुड़े क्लेम को वेरिफाई किया है। लगभग तीन से चार महीने तक लगातार प्रयोग कर इस प्रोडक्ट को तैयार किया गया है।
हर्ष का दावा है कि खास तकनीक से तैयार की गईं चादरों की गुणवत्ता 75 धुलाई तक बरकरार रहेगी, हालांकि इसकी लाइफ 125 धुलाई तक है। बोरिंग रोड में रहने वाले हर्ष ने आईआईटी दिल्ली से टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है और वे डीपीएस और संत कैरेंस से दसवी और 12 वीं की पढ़ाई किया है। हर्ष ने बताया कि उनकी कंपनी आईआईटी दिल्ली और आईआईटी पटना से सपोर्टेड है। जल्द ही कंपनी की ओर से आईआईटी पटना और एम्स पटना को क्रमश: 30 और 50 चादरें उपयोग के लिए नि:शुल्क दी जानी है।
बाजार में चादरों की कीमतें 650 रुपये
23 वर्ष के युवा इंजीनियर हर्ष ने बताया कि सिंगल बेड की एक चादर और तकिए के कवर की कीमत 650 रुपये है। इसे होटलों और अस्पतालों के उपयोग के अनुसार अलग-अलग साइज में डिजायन किया गया है। हर्ष के पिता हरिवंश नारायण लाल और मां रीना साफी दोनों दिल्ली में बैंक मैनेजर हैं। हर्ष का पूरा परिवार दिल्ली में है। हर्ष ने बताया कि कोरोना काल में जब स्वास्थ्य सेवाएं संक्रमण से जूझ रही थीं, तभी उन्होंने और उनकी टीम ने एक ऐसा प्रोडक्ट तैयार करने को सोचा था जो संक्रमण को रोके। उनकी हमेशा शोध में रुचि रही है। इनकी कंपनी मेडिकफाइबर्स प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली में है।
टेक्सटाइल इंजीनियर हर्ष लाल और उनकी टीम की यह शानदार उपलब्धि है। इनकी कंपनी और यह प्रोडक्ट आईआईटी पटना से इंक्यूबेटेड है। स्वास्थ्य सेवाओं के नजरिये से यह एक बेहतरीन इंक्यूबेशन है।