नौसेना ने बुधवार को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा निर्मित इस मिसाइल का अरब सागर से परीक्षण किया गया। पिछले महीने वायु सेना भी इसका सफल परीक्षण कर चुका है। इससे पहले वायुसेना ने अंडमान निकोबार के ट्रॉक द्वीप में सोमवार और मंगलवार को ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। 21 और 22 अक्तूबर को ये दोनों मिसाइलें दागी गईं।
300 किलोमीटर तक सटीक निशाना :
इसने 300 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाते हुए उसे ध्वस्त कर दिया था। जमीन से जमीन पर हमला करने के लिए ब्रह्मोस सफल मिसाइल मानी जाती है। यह मध्यम रेंज की एक ऐसी सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसे किसी एयरक्राफ्ट, शिप या छोटे प्लेटफॉर्म से भी दागा जा सकता है। इस क्रूज मिसाइल को थल, जल और हवा से दागा जा सकता है। इसकी मारक क्षमता अचूक है।
फिर पूरा पाक होगा जद में :
भविष्य में भारत और रूस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की रेंज को 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 600 किलोमीटर करने की दिशा में काम करेंगे। इससे न केवल पूरा पाकिस्तान इस मिसाइल की जद में होगा बल्कि कोई भी टारगेट पलभर में इस मिसाइल से तबाह किया जा सकेगा।
नदियों के नाम पर रखा गया मिसाइल का नाम :
ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की गति ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक 2.8 मैक गति से लक्ष्य पर प्रहार करती है। इसके दागे जाने के बाद दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं मिलता है।