इससे पता चलता है कि 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर होने के कारण कुल मौजूद करेंसी की 86 प्रतिशत करेंसी रद्द हो गई। अनिल गलगली के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक की जानकारी के आधार पर सरकार ने इतना बड़ा फैसला लेने के पहले न तो किसी भी तरह का अध्ययन किया और न ही व्यावहारिक दृष्टिकोण से काम किया क्योंकि जो मौजूदा करेंसी भारतीय रिजर्व बैंक के पास थी उसका 86 प्रतिशत का हिस्सा नोटबंदी के चलते बाहर हुआ और उसकी पूर्ति करने के लिए सरकार ने उसकी तुलना में 24.11 प्रतिशत की सिर्फ दो हजार रुपये मूल्य की करेंसी छापी। नोट रद्द होने की तुलना में आरबीआई के पास दो हजार के नोट बहुत कम मात्रा में थे।
नोटबंदी के दिन RBI के पास सिर्फ 4.95 लाख करोड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को पांच सौ और एक हजार की करेंसी रद्द करने की घोषणा की थी। उस दिन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास दो हजार रुपये की सिर्फ 24,732 नोट यानी कुल 4,94,640 करोड़ की करेंसी छपकर तैयार थी। यह जानकारी आरटीआई से सामने आई है।
भारतीय रिजर्व बैंक की केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी पी विजय कुमार ने अनिल गलगली को बताया कि जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी उस वक्त आरबीआई के पास नए पांच सौ रुपये की करेंसी नहीं थी। वहीं, उस समय तक आरबीआई के पास 10, 20, 50, 100, 500 और 1000 रुपये मूल्य की कुल करेंसी की संख्या 12,42,300.1 करोड़ थी जिसकी कुल कीमत 23,93,753.39 करोड़ थी। इसमें से 500 और 1000 मूल्य की करेंसी की संख्या 3,18,919.2 करोड़ थी, जिसकी कुल कीमत 20,51,166.52 करोड़ थी।