नई दिल्लीः निर्भया सामुहिक बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह को आज शुक्रवार की सुबह तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। तिहाड़ जेल की फांसी कोठी में पवन जल्लाद ने दरिदों को फंदे से तब तक लटकाए रखा, जब तक चारों की जान नहीं निकल गई। फांसी की निगरानी कर रहे डॉक्टर ने चारों दोषियों के मरने की पुष्टि कर दी है। अंतिम समय में भी निर्भया के दोषी रहम की दरख्वास्त करते रहे, लेकिन अदालत ने अपना फैसला नहीं बदला। भारतीय समय के अनुसार चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह साढ़े पांच बजे सूली से लटकाया गया। डॉक्टरों की टीम की देखरेख में पवन जल्लाद ने एसडीएम का इशारा होते ही फांसी का लीवर खींच दिया और कुछ ही देर में चारों की सांसें थम गईं। डॉक्टर के चारों दोषियों की मौत पर मुहर लगाने के बाद उनके शव फंदे से उतारे गए। अधिकारी ने बताया कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे। जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया ‘‘डॉक्टर ने जांच की और चारों को मृत घोषित कर दिया ।’’ फांसी की खबर मिलने के तुरंत बाद निर्भया की मां ने कहा, आज उनकी बेटी को इंसाफ मिल गया।
दरिंदों पर किसी को नहीं आई तरस
16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इस दौरान दोषियों ने इतनी दरिंदगी की थी कि निर्भया की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को फांसी की सजा सुनाई गई। चारों दोषियों के सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके थे और राष्ट्रपति भी उनकी दया याचिका खारिज कर दी थी। निचली अदालत ने चारों दोषियों को एक साथ फांसी देने के लिए 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे का वक्त तय कर रखा था।
दया के लिए दर-दर भटकते रहे दरिंदे
मौत की तारीख नजदीक आती देख दोषी अलग-अलग जगह नई-नई अर्जियां दाखिल कर रहे थे। दोषी मुकेश ने अपनी पुरानी वकील पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में उसने कहा था कि पुरानी वकील ने उसे कोर्ट के आदेश का भय दिखाकर उससे कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए थे। इसके बाद दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी। इसके अलावा राष्ट्रपति के सामने भी दया की भीख मांगी थी। दोनों जगहों से उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी। मुकेश का कहना था कि उसके पास क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने के लिए तीन साल का समय था, फिर भी उसकी वकील ने सबसे पहले उसकी क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर दी थी। वहीं, दोषी पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल किया था। उसने दलील दी थी कि जब अपराध हुआ, उस समय वह नाबालिग था।
16 दिसंबर 2012: जब पार हुई थी हैवानियत की हद
निर्भया के दोषी मुकेश, विनय और अक्षय और पवन को आज फांसी दे दी गई। 16 दिसंबर 2012 की रात इन दरिदों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। दिल्ली के मुनिरका में निर्भया के साथ दरिंदगी हुई थी। निर्भया अपने एक दोस्त के साथ साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में ‘लाइफ ऑफ पाई’ मूवी देखने गई थी। मूवी देखने के बाद दोनों ने ऑटो लिया था। दोनों को इस बात का अंजादा नहीं था कि उनका जिंदगी का सबसे बुरा वक्त शुरू हो चुका है। जब निर्भया और उसका दोस्त ऑटो में सवार हुए, तब रात के करीब 8 बज रहे थे। निर्भया के दोस्त ने बताया था कि हमने पहले घर के लिए ऑटो से जाने का फैसला किया था, ऑटो वाले जाने को राजी नहीं हुए तो मुनिरका तक ऑटो कर लिया। दोनों मुनिरका के बस स्टैंड पर उतरे। उस समय रात के करीब 8:30 बज रहे थे। वहां एक सफेद रंग की बस पहले से खड़ी थी। दोस्त ने बताया कि बस में 6 लोग मौजूद थे और कह रहे थे कि काफी सवारी आने वाली है। दोनों बस में बैठ गए। बस थोड़ी दूर पहुंची तो निर्भया के दोस्त को शक हुआ था कि कुछ सही नहीं चल रहा है। 20 रुपये किराया दिया था। बस थोड़ी और आगे चली तो दोषियों ने बस का गेट बंद कर दिया और 3 लोग सीट पर आए और निर्भया के दोस्त को मारने लगे। मारने के लिए तीन रॉड का इस्तेमाल किया। कोई सिर पर मार रहा था, कोई पीठ पर तो कोई हाथों पर। दोषी निर्भया को खींच कर पीछे ले गए और उसके साथ रेप किया। इसके बाद दोषियों ने दोस्त और निर्भया को झाड़ में फेंक दिया था। दोनों पर बस चढ़ाने की कोशिश भी की थी। पुलिस ने दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया था।
निर्भया ने सिंगापुर में ली थी आखिरी सांस
दरिंदगी की इस घटना ने देशभर में आंदोलन की आग फैला दी थी। पूरा देश बलात्कारियों के लिए फांसी की मांग करने लगा था संसद में इसे लेकर जमकर हंगाम हुआ था इस बीच पीड़ित लड़की की हालत नाजुक होती जा रही थी। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी। उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था।
एक दरिंदे ने तिहाड़ जेल में कर ली थी आत्महत्या
मामले की सुनवाई के बीच 11 मार्च, 2013 को आरोपी बस चालक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। राम सिंह के परिवार वालों और उसके वकील का मानना है कि जेल में उसकी हत्या की गई थी।