गंगा में शव प्रवाहित किए जाने की घटनाओं को शासन ने गंभीरता से लिया है। केंद्र सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिपोर्ट मांगे जाने के बाद प्रदेश सरकार ने गंगा की निगरानी के आदेश दिए हैं। कानपुर कमिश्नरेट और कानपुर आउटर पुलिस अपने-अपने क्षेत्रों में गंगा की निगरानी करेगी। शासन ने कानपुर के लिए एसडीआरएफ की एक टीम तैनात कर दी है।
स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) की टीम शनिवार को कानपुर पहुंच जाएगी। इसके साथ एक प्लाटून पीएसी भी तैनात कर दी गई है। यह टीमें बिल्हौर से महाराजपुर के ड्योढ़ी घाट तक गंगा में पेट्रोलिंग करेंगी। यदि कोई शव उतराया मिला तो उसे निकालकर अंतिम संस्कार कराएंगी।
यदि कोई गंगा में शव प्रवाहित करता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी करेगी। पिछले दिनों कई जिलों में गंगा में शव उतराने की घटनाएं सामने आई थी। बिहार पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा था कि शव यूपी से आ रहे हैं। इसके बाद शासन के अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कानपुर पुलिस कमिश्नर से बात की।
शनिवार से एसडीआरएफ और पीएसी की टीमें गंगा में पेट्रोलिंग करेंगी। एसडीआरएफ और पीएसी को स्टीमर मुहैया कराया जाएगा। गंगा में कोई शव दिखा तो उसका अंतिम संस्कार पुलिस टीम कराएगी। कोई प्रवाहित करता हुआ मिला तो विधिक कार्रवाई भी की जाएगी।
- असीम अरुण, पुलिस कमिश्नर, कानपुर
नदियों में नहीं बहा सकेंगे शव
यूपी की नदियों में लोग अब शव नहीं बहा सकेंगे। राज्य सरकार ने इस पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को नदियों में शव बहाने पर सख्ती से रोक लगाने को कहा है। शव बहाने वालों पर जुर्माना भी लगाने पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि प्रदेश में नदियों के किनारे स्थित सभी गांवों तथा शहरों में ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान तथा शहरों में निकायों के कार्यकारी अधिकारी व निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से समितियां बनाकर यह सुनिश्चित किया जाए कि उनके गांव तथा शहर में से कोई भी व्यक्ति परम्परा के नाते नदियों में शव न बहाए। सीएम ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति जिसकी मृत्यु हुई है उसे सम्मानजनक रूप से अंत्येष्टि का अधिकार है।
सरकार का कहना है कि शव अथवा मरे हुए जानवर बहाने से नदी प्रदूषित होती है । प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार नदियों को साफ़ करने के लिए विशेष कार्यक्रम भी चला रही है। इस संबंध में गृह विभाग, नगर विकास विभाग, ग्राम विकास, पंचायत विभाग तथा पर्यावरण विभाग मिलकर एक कार्य योजना बनाएँ जिससे कि पूरे प्रदेश में परंपरा के नाते शव किसी भी दशा में न बहाए जाएं।