नई दिल्ली : अमेरिकी सांसदों के एक शिष्टमंडल ने भारत में दलाई लामा से मुलाकात की। इस पर चीन ने अमेरिका के सामने राजनयिक विरोध जताया है। चीन ने कहा है कि इस कदम से दुनिया को ‘गलत संकेत’ जाता है और यह अमेरिका के तिब्बत की स्वतंत्रता को समर्थन नहीं देने की प्रतिबद्धता तोड़ता है।
वहीं दलाई लामा से मिलने के बाद नैंसी ने कहा कि तिब्बत के लोगों की आवाज दबाने के लिए चीन आर्थिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है। तिब्बत के हालात पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन्होंने कहा कि चीन की बर्बर रणनीति पर हम चुप नहीं बैठेंगे।
असल में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रैटिक पार्टी की नेता नैंसी पेलोसी के नेतृत्व में कांग्रेस के द्विदलीय शिष्टमंडल ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु 81 साल के दलाई लामा से मुलाकात की थी।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि 14वें दलाई लामा राजनीतिक तौर पर निर्वासित हैं, वे धर्म की आड़ में लंबे समय से अन्य देशों में चीन-विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं। पहले की खबरों में कहा गया था कि चीन ने ट्रंप से कहा था कि दलाई लामा के साथ कोई बैठक ना की जाए।
ध्यान हो कि बाराक ओबामा समेत पूर्ववर्ती अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने दलाई लामा से मुलाकात की थी। अमेरिकी डेलिगेशन में शामिल जिम मैकगवर्न ने कहा कि हमें दलाई लामा में विश्वास है और आपके साथ खड़े हैं। उन्होंने ट्रंप प्रशासन से दलाई लामा से मुलाकात करने की अपील की।