अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन ने कहा है कि अगर शांति वार्ता में कोई प्रगति नहीं हुई तो दुनिया तालिबान के साथ काम नहीं करेगी। यह बात डेबोरा ने अफगान प्रेसिडेंशियल पैलेस में जॉइंट कोओर्डिनेशन और मॉनिटरिंग बोर्ड की बैठक में कही है।
अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन ने कहा है कि अगर शांति वार्ता में कोई प्रगति नहीं हुई तो दुनिया के साथ काम नहीं करेगी। यह बात डेबोरा ने अफगान प्रेसिडेंशियल पैलेस में जॉइंट कोओर्डिनेशन और मॉनिटरिंग बोर्ड की बैठक में कही है।
टोलो न्यूज़ के मुताबिक़ डेबोरा ने कहा है कि अगर बातचीत आगे नहीं बढ़ती है और तालिबान के नियंत्रण वाले जिलों में मानवाधिकारों का हनन और अत्याचार होता है तो तालिबान को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए व्यवहार्य भागीदार के रूप में नहीं देखा जाएगा। उन्होंने आगे कहा है कि तालिबान ने जिस क्षेत्र को नियंत्रण में लिया है, उससे उसे जिम्मेदारी मिली है। दुनिया बारीकी से देख रही है कि तालिबान कैसे काम कर रहा है। ख़ासकर महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के प्रति।
डेबोरा ने कहा है कि कोई भी संस्था या देश ऐसे में अफगानिस्तान की मदद नहीं कर सकेगी अगर अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों से भेदभाव किया गया या लड़कियों को शिक्षा से दूर रखने की कोशिश की गई। ऐसा करना संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के मानदंडों के खिलाफ है।
तालिबान से बात को तैयार: राष्ट्रपति गनी
जॉइंट कोओर्डिनेशन और मॉनिटरिंग बोर्ड की बैठक को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी संबोधित किया है। उन्होंने कहा है कि, ‘देश के मसले का कोई सैन्य समाधान नहीं है। हम अफगानिस्तान के भविष्य में यकीन करते हैं। आज का अफगानिस्तान वास्तव में बदल गया है।’
राष्ट्रपति गनी ने कहा है कि हम तालिबान से बातचीत को तैयार हैं। हमने पांच हज़ार तालिबान कैदियों की रिहाई की है। हमने जल्दी चुनाव कराने की बात कही है। यह हमारी शांति की इच्छा को दर्शाता है।