अफगानिस्तान में शांति कायम करने के लिए भले ही सरकार की ओर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं और तालिबान से भी वार्ता की जा रही है, लेकिन कट्टरवादी संगठन ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है। उलटे तालिबान का कहना है कि अफगानिस्तान में शांति के लिए इस्लामिक व्यवस्था ही एकमात्र रास्ता है।
सरकार के साथ जारी बातचीत के बीच रविवार को तालिबान ने कहा कि हम शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन देश में ‘वास्तविक इस्लामिक व्यवस्था’ ही एकमात्र रास्ता है, जिससे युद्ध समाप्त हो सकता है और लोगों को उनके अधिकार मिल सकते हैं। तालिबान ने कहा कि इस्लामिक सिस्टम के तहत ही महिलाओं को भी उनके अधिकार मिल पाएंगे।
तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच बीते कई महीनों से बातचीत चल रही है, लेकिन गतिरोध कायम है। इस बीच मई से अमेरिकी सैनिकों की वापसी जारी है और इसके चलते तालिबान ने हिंसा का तांडव शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान में इस बात को लेकर भी लोग खौफजदा हैं कि यदि तालिबान की सत्ता में वापसी होती है तो इस्लामिक नियमों के नाम पर वह क्रूर अत्याचार शुरू कर सकता है।
एक दौर में तालिबान ने लड़कियों की स्कूली शिक्षा पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति से संबंध बनाने पर महिलाओं को पत्थरों से मारने जैसी क्रूर सजाएं दी जाती थीं। ऐसे में लोगों को डर है कि तालिबान यदि सत्ता में आता है तो एक बार फिर से वैसा ही दौर शुरू हो सकता है।
एक तरफ तालिबान की ओर से अफगानिस्तान में हिंसा की जा रही है तो वहीं उसके सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बारादर का कहना है कि हम शांति वार्ता को जारी रखना चाहते हैं। बारादर ने कहा कि हम बातचीत में लगातार शामिल हैं। यह इस बात का संकेत है कि हम आपसी समझ से सभी मुद्दों को सुलझाने के पक्ष में हैं।
मुल्ला अब्दुल गनी ने कहा कि अफगानिस्तान में संघर्ष को खत्म करने का एक ही तरीका है कि इस्लामिक सिस्टम को स्थापित किया जाए और सभी विदेशी सैनिकों की वापसी हो। तालिबान के सरगना ने कहा कि एक वास्तविक इस्लामिक सिस्टम ही अफगानिस्तान में सभी मुद्दों को सुलझाने का एक तरीका है।