ऐसी बहुत सी बीमारियां हैं जो मौसम बदलते समय सिर उठाती हैं. जैसे ही मौसम स्थिर होता है, वो ख़त्म हो जाती हैं. मौसमी बुख़ार इसकी सबसे आम मिसाल है.
इसी तरह टायफ़ाइड या ख़सरा अक्सर गर्मी के मौसम में सिर उठाती है. मैदानी इलाक़ों में ख़सरा अक्सर गर्मी के मौसम में पैर फैलाता है. जबकि, उष्णकटिबंधीय इलाक़ों में ये बीमारी सूखे मौसम में सबसे ज़्यादा फैलती है.
कोविड-19 वायरस सबसे पहले चीन में दिसंबर महीने में फैलना शुरू हुआ था. और तभी से ये वायरस लगातार फैल रहा है. अमरीका और यूरोप के देशों में भी इसने क़हर बरपाया हुआ है. अभी तक देखा गया है कि ठंडे इलाक़ों में ये काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है.
वहीं जिन इलाक़ों में अभी थोड़ा सर्द और थोड़ा गर्म मौसम है वहां इसकी रफ़्तार धीमी है. लिहाज़ा माना जा रहा है कि गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ये वायरस ख़त्म हो जाएगा. हालांकि बहुत से जानकार, अभी भी इस बात से सहमत नहीं हैं.
विटामिन डी इसमें काफ़ी अहम भूमिका निभाता है. सर्दी के मौसम में हमें धूप कम मिलती है. हम ठंडी हवा से बचने के लिए शरीर को पूरी तरह ढके रहते हैं. लेकिन बहुत से जानकार इस थ्योरी से सहमत नहीं हैं.
कुछ जानकारों के मुताबिक़ सर्दी के मौसम में हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है. जबकि कुछ जानकार कहते हैं कि सर्दी के मौसम में शरीर में ऐसी कोशिकाएं बनने लगती हैं जो शरीर को किसी भी तरह के संक्रमण से बचाने में सहायक होती हैं.
चीन में शोधकर्ताओं ने खोज की है कि उनके यहां उन दिनों में मौत सबसे कम हुईं, जिन दिनों में नमी और तापमान का स्तर ऊंचा था. इनकी रिसर्च से ये भी पता चलता है कि जिन इलाक़ों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान और उमस में काफ़ी अंतर था, वहां मौत का आंकड़ा काफ़ी बड़ा था. हालांकि ये रिसर्च कंप्यूटर मॉडलिंग पर ही आधारित हैं. लिहाज़ा कहना मुश्किल है कि यही पैटर्न दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी देखने को मिलेगा.
कोविड-19 असल में सार्स (SARS) कोरोना वायरस के परिवार से है. इस नए कोरोना वायरस का आधिकारिक नाम कोविड-19 ही है.
सार्स वायरस 2003 में फैला था और इतने कम समय में ख़त्म हो गया कि रिसर्चरों को इसके मौसमी चक्र के बारे में पता लगाने का मौक़ा ही नहीं मिला. इसीलिए रिसर्च के लिहाज़ से ये वायरस बहुत ही नया है. लेकिन कोरोना वायरस परिवार के अन्य सदस्यों से हमें कोविड-19 के बारे में कई इशारे मिलते हैं.
10 साल पहले ब्रिटेन में एक स्टडी की गई थी. इसमें तीन तरह के कोरोना वायरस के सैम्पल ऐसे मरीज़ों से लिए गए थे जिन्हें सांस के ज़रिए संक्रमण हुआ था.
वहीं एक सैम्पल ऐसे मरीज़ से लिया गया था जिसे सर्जरी के दौरान संक्रमण हुआ था. इन सभी में वायरस का मौसमी चक्र नज़र आता है. इससे इशारा मिला कि तीन तरह के कोरोना वायरस दिसंबर से अप्रैल महीने के बीच सक्रिय होते हैं. जबकि सर्जरी वाले मरीज़ को संक्रमित करने वाला चौथा वायरस रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर करने वाला था.
फ़िलहाल तो रिसर्चर यही मान रहे हैं कि कोविड-19 ठंडे और सूखे माहौल में ही पनपता है. लेकिन अभी जिन देशों में इस वायरस ने पनाह ली है, उनमें बहुत गर्म और उमस वाले देश भी शामिल हैं. हालांकि बहुत सी अप्रकाशित रिसर्च में यही दावा किया गया है कि बढ़ता तापमान इस वायरस की गति को धीमा कर देगा. लेकिन, बहुत से जानकार इससे सहमत नहीं हैं. फ़िलहाल रिसर्चर सिर्फ़ कंप्यूटर मॉडलिंग पर ही यक़ीन कर रहे हैं और