दिल्ली में आज सबसे बड़ी बैठक होने वाली है। यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू कश्मीर के लगभग सभी बड़े नेताओं के बीच होगी। इस बैठक में शामिल होने के लिए जम्मू कश्मीर के 4 पूर्व सीएम, और 4 पूर्व डिप्टी सीएम को आमंत्रण भेजा गया था। केंद्रीय गृह सचिव ने 8 दलों के 14 नेताओं को न्योता भेजा था। ऐसी उम्मीद है कि गुलाम नबी आजाद, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती बैठक में आएंगे। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला, कवींद्र गुप्ता, निर्मल सिंह, रवींद्र रैना जैसे दिग्गज नेता इस बैठक में मौजूद रहेंगे।
बताया जा रहा है कि यह मीटिंग प्रधानमंत्री आवास पर दोपहर 3 बजे से शुरू होगी। हालांकि, इस मीटिंग का एजेंडा क्या है? इसे अभी गुप्त रखा गया है। लेकिन माना जा रहा है कि इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के विकास समेत परिसीमन और अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर सकती है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बैठक में गृहमंत्री अमित साह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा, एनएसए अजीत डोभाल समेत कई अन्य शीर्ष अधिकारी भी मौजूद हो सकते हैं।
इस बैठक में कौन सा मुद्दा सबसे अहम होने वाला है? इसे लेकर यह कहा जा रहा है कि बैठक में जम्मू कश्मीर में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने को लेकर स्थानीय नेताओं से गहन मंत्रणा की जा सकती है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए के खत्म होने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से यह पहली बड़ी पहल है। खास बात यह भी है कि इस बैठक में गुपकार गठबंधन के करीब-करीब सभी बड़े नेता शामिल होंगे। फारुख अब्दुल्लाह से लेकर महबूबा मुफ्ती ऐसे कई बड़े नेता हैं जो कई दिनों तक नजरबंद रहने के बाद सीधे तौर पर पहली बार पीएम मोदी के सामने होंगे।
अभी हाल ही में जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री रह चुकीं महबूबा मुफ्ती ने कहा कि था केंद्र को कश्मीर मुद्दे का हल करने के लिए पाकिस्तान सहित हर किसी से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि ‘वे (भारत) दोहा में तालिबान के साथ वार्ता कर रहे हैं। उन्हें समाधान (कश्मीर मुद्दा) के लिए जम्मू कश्मीर में सभी के साथ और पाकिस्तान के साथ वार्ता करनी चाहिए।’
पीडीपी प्रमुख ने पहले कह चुकी हैं कि ‘चाहे उनका एजेंडा कुछ भी हो, हम उनके समक्ष अपना एजेंडा रखेंगे। हमें उम्मीद है कि जम्मू कश्मीर के अंदर एवं बाहर रखे गए हमारे लोग रिहा कर दिये जाएंगे और जिन्हें रिहा नहीं भी किया गया तो उन्हें कम से कम जम्मू कश्मीर ले आया जाएगा। गरीबों को जम्मू कश्मीर के अंदर और बाहर रखे गए उनके परिजन से मिलने जाने के लिए रकम जुटानी पड़ती है।’
प्रधानमंत्री मोदी की बैठक से पहले जम्मू-कश्मीर और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर 48 घंटे का अलर्ट जारी किया गया है। इसके साथ ही कश्मीर में हाई स्पीड इंटरनेट सेवाएं बंद रखी जा सकती हैं।