सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया कि भविष्य में अपील दायर करने और कानून के अन्य कदमों को उठाने में देरी नहीं होगी। यह निर्देश उच्चतम न्यायालय ने यह देखते हुए दिया कि उसके अधिकारियों की ओर से निर्धारित समय में ऐसा करने में देरी हो रही है। अदालत ने कहा कि देरी गंभीर संदेह को जन्म देता है।
अदालत ने सीबीआई निदेशक को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रशासनिक कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया कि अपील दायर करने और कानून के अन्य चरणों की निगरानी एक आईसीटी मंच पर की जाए। पीठ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 26 जून, 2019 के एक फैसले के खिलाफ केंद्र द्वारा दायर एसएलपी पर विचार कर रही थी।
उच्च न्यायालय के इस फैसले ने रायपुर स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के नवंबर, 2012 के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें विशेष न्यायाधीश ने प्रतिवादियों को आईपीसी की धारा 468 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13, 120बी, 420, 471आर के तहत दोषी ठहराया था। सीबीआई अदालत के इस फैसले को पलटते हुए उच्च न्यायालय ने प्रतिवादियों को बरी कर दिया था।
इसके बाद सीबीआई ने 675 दिनों की देरी से उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की। अदालत ने कहा जब अपील बरी के करने के खिलाफ दायर की गई हो तो देखना पड़ेगा कि देरी का कारण क्या है। साथ ही क्या इस देरी को माफ किया जा सकता है या नहीं यह भी देखा जाएगा।