छत्तीसगढ़ के गांवों में आर्थिक समृद्धि का आधार बन रहे गौठान

Rural Economy: उच्च गुणवत्तापूर्ण वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए कम से कम 1 सप्ताह पुराना गोबर का होना आवश्यक है।

बिलासपु:जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती विकास खंड के बासीन और बलोदा विकास खंड के ग्राम बसंतपुर के गौठानों में आस्ट्रेलियन केंचुआ डालकर जैविक खाद बनाने की अंतिम प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है। कुछ दिनों बाद इन गौठानों में जैविक खाद तैयार होना प्रारंभ हो जाएगा। जिससे महिला समूहों की आय में वृद्धि होगी और वे आर्थिक दृष्टि से मजबूत और आत्मनिर्भर बनेंगे।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के एडीओ ऋषिकंवर व अरुण यादव द्वारा वर्मी कंपोस्ट के लिए गौठान में बनाएं वर्मी टाका में मास्टर ट्रेनर दीन दयाल यादव की मदद से बिहान के गंगे मैया स्व सहायता समूह बहेराडीह द्वारा तैयार ऑस्ट्रेलियन केंचुआ डाला गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा अऊ बारी योजना के अंतर्गत गोधन न्याय योजना में पूरे राज्य में गौठान बनाए जा रहे हैं जहां गोबर खरीदी कर एकत्रित किया जा रहा है साथ ही स्वच्छ भारत मिशन क्लीन सिटी के तहत शहरों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन कर एस एल आर एम सेंटर में गीला व सूखा कचरा अलग-अलग कर एकत्रित किया जा रहा है।

इस संबंध में दीनदयाल यादव ने बताया कि उच्च गुणवत्तापूर्ण वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए कम से कम 1 सप्ताह पुराना गोबर का होना आवश्यक है। वही 45 दिन के भीतर ही अच्छा खाद बनाने के लिए वेस्ट डी कंपोजर और जीवामृत बना कर डाला जा रहा है। उसके साथ साथ केंचुए का सही तरीके से प्रबंधन व कंपोस्ट को पैकेजिंग करने के तरीकों की संपूर्ण जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं के द्वारा तैयार की जा रही वर्मी कंपोस्ट को सीधे सेवा सहकारी समितियों में 8 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाएगा।

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