हालाकिं, ओबोर की सदस्यता को आधिरित संगठन नहीं है। इललिए इसका सदस्य न बनना भारत को कोई खास नुकसान नहीं देगा। संभव है कि भारत इसमें कनिष्ठ स्तर के प्रतिनिधियों को भेजे और उच्च स्तरीय अधिकारियों को भेजन से बचे। इस बैठक में 50 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग लेंगे, जिसमें कुछ भारतीय विशेषज्ञ भी शामिल हो सकते हैं।
अमेरिका मैथ्यू पॉटिंगर की अगुवाई में एक इंटर-एंजेसी प्रतिनिधि दल भेज रहा है। मैथ्यू ट्रंप प्रशासन के टॉप सलाहकार और एनएसए, पूर्वी एशिया के वरिष्ठ निदेशक हैं। चाइनास एशियन ड्रीम के लेखक टॉम मिलर ने कहा, ‘यह रोडमैप कैसा होगा, यह पूरी तरह से चीनी कंपनियों या चीनी सरकार के अन्य देशों के साथ समझौते पर निर्भर करेगा। कोई नहीं जानता कि वे आखिर क्या करने जा रहे हैं।’
चीन के प्रभुत्व वाले इस प्रॉजेक्ट के प्रति उदासीनता बरते रहा अमेरिका अब उन विकसित देशों (ब्रिटेन और जर्मनी) के समूह में शामिल हो गया है जो अपने प्रतिनिधि पेइचिंग भेज रहे हैं। चीन के साथ सैन्य मतभेद रखने वाले जापान और दक्षिणी कोरिया भी पेइचिंग अपने प्रतिनिधि भेजने को राजी हैं। इसके अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका भी इसमें हिस्सा लेंगे।