तीन दिनों की बंदी के बाद मंगलवार को बैंक खुले, लेकिन जबर्दस्त भीड़ से लोगों को काफी परेशानी झोलनी पड़ी। बैंक अधिकारी कैश की किल्लत का हवाला देते हुए जरूरतमंदों को मांग के अनुरूप रुपये देने से इनकार करते रहे। वहीं, दूसरी ओर कुछ बैंकों के सर्वर में तकनीकी दिक्कत होने की वजह से लेन-देन का कार्य नहीं हो सका।
मंगलवार की सुबह से ही बैंक और एटीएम के बाहर लोगों की लंबी लाइन लग गई थी। बैंक अपने निर्धारित समय से खुले लेकिन एटीएम के शटर 11 बजे के बाद ही उठे। नगर के स्टेशन रोड स्थिति बैंक आफ बड़ौदा, एचडीएफसी, सेंट्रल बैंक, बैंक आफ इंडिया के एटीएम पर दोपहर 01 बजे सौ से अधिक लोगों की लाइन लगी थी। महिलाओं की अलग लाइन लगी थी, जिनकी संख्या पुरुषों की तुलना में भले ही कम थी, लेकिन उन्हें भी पैसे के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।
बैंकों में पैसे की निकासी के लिए गए लोगों का कहना था कि नोटबंदी का आदेश हुए एक माह से अधिक समय हो गया लेकिन अभी भी उन्हें जरूरत के पैसे बैंक से नहीं मिल पा रहे हैं। बैंक अधिकारी कैश की किल्लत होने का हवाला देकर पूरा पैसा देने में असमर्थता जता रहे हैं। वहीं तीन दिनों का दबाव एक दिन आने से बैंेक कर्मचारी भी काफी परेशान रहे।
मंगलवार की सुबह से ही बैंक और एटीएम के बाहर लोगों की लंबी लाइन लग गई थी। बैंक अपने निर्धारित समय से खुले लेकिन एटीएम के शटर 11 बजे के बाद ही उठे। नगर के स्टेशन रोड स्थिति बैंक आफ बड़ौदा, एचडीएफसी, सेंट्रल बैंक, बैंक आफ इंडिया के एटीएम पर दोपहर 01 बजे सौ से अधिक लोगों की लाइन लगी थी। महिलाओं की अलग लाइन लगी थी, जिनकी संख्या पुरुषों की तुलना में भले ही कम थी, लेकिन उन्हें भी पैसे के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।
बैंकों में पैसे की निकासी के लिए गए लोगों का कहना था कि नोटबंदी का आदेश हुए एक माह से अधिक समय हो गया लेकिन अभी भी उन्हें जरूरत के पैसे बैंक से नहीं मिल पा रहे हैं। बैंक अधिकारी कैश की किल्लत होने का हवाला देकर पूरा पैसा देने में असमर्थता जता रहे हैं। वहीं तीन दिनों का दबाव एक दिन आने से बैंेक कर्मचारी भी काफी परेशान रहे।