गोंडा में इटियाथोक के बिसुही नदी के पानी ने इतनी भयावह स्थिति पैदा कर दी कि लोग अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह के लिए परिवार के साथ पलायन कर किसी तरह रोजमर्रा की जिन्दगी को गुजार रहे है। बाढ़ की ऐसी भयावह स्थिति से सैकड़ों बीघे की फसल भी जलमग्न हो चुके है। बाढ़ की ऐसी स्थिति करीब 38 साल बाद देखने को मिली है। ईद उल अजहा त्योहार के दूसरे दिन से ही बिसुही नदी का जलस्तर धीरे धीरे बढ़ने लगा नदी के पानी ने इटियाथोक तेलयानी मार्ग के मजरा नसीमाबाद के कई घरों को अपने आगोश में ले लिया।
बाढ़ की स्थिति यह है कि जिस घरों में नदी का पानी घुसा है वहा के परिवार और घरों में रहने वाले छोटे छोटे बच्चे के खाने पीने के लिए बहुत दिक्कत का सामान करना पड़ रहा है। पशु के चारों का इंतजाम भी इस बाढ़ की स्थिति में नहीं हो पा रहा है। बाढ़ ग्रस्त स्थिति से जूझ रहे लोगों को दैनिक जरूरत के लिए राशन सहित अन्य सामान का मिल पाना बहुत मुश्किल सा काम है। जिसके घरों में नदी का पानी घुसा है उनके घरों में कई दिनों से चूल्हे नहीं जले। बाढ़ की ऐसी स्थिति से प्रशासन भी मौन है।
लोगों का कहना है बाढ़ की ऐसी स्थिति से जिला प्रशासन की तरफ से कोई भी मदद अभी तक बाढ़ पीड़ित परिवार को नहीं मिली है। बिसुही नदी के पानी ने इटियाथोक-गोंडा मार्ग के ग्राम पंचायत पारासराय, इटियाथोक ग्राम पंचायत के कई छोटे छोटे मजरे को अपने आगोश में ले रखा है। मार्ग पर नदी के पानी के बहने से आने जाने वाला सम्पर्क मार्ग भी पूरी तरह टूट चूका है। इटियाथोक तेलयानी मार्ग की करीब 500 मीटर की सड़क नदी की पानी से गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। मार्ग पर लोडिंग गाड़ियों के लिए आवागमन बन्द है। बाढ़ के पानी से मजरा पारासराय आंशिक, इटियाथोक का मजरा मैसरपुरवा, नसीमाबाद का कुछ हिस्सा, गंगा पड़री में बाढ़ की भयावह स्थिति है।बाढ़ का दंश झेल रहे स्थानीय लोग घर में रोजमर्रा जरूरत के लिए दो पहिया वाहन, साइकिल या पैदल इटियाथोक बाजार आकार दैनिक इस्तेमाल की जरूरत का सामान को खरीद कर वापस अपने घरों में जाते है। तेलयानी मार्ग पर अंतिम संस्कार के लिए बना शमशान घाट भी चारो तरफ से जलमग्न है। क्षेत्र में किसी परिवार के यहां मौत हो जाने के बाद उसका अन्तिम संस्कार शमशान घाट में न होकर किसी ऊंचे स्थान पर हो सकता है क्योंकि बिसुही नदी ने शमशान घाट को भी अपने आगोश में ले रखा है। बाढ़ से पीड़ित रईश, हसमत अली, तौफीक पेंटर, जगदीश, मूने सहित कई दर्जन लोगो ने अपना आशियाना छोड़ दूसरी जगह परिवार के साथ रह रहे है।