गंगा के कछार में बाढ़ का पानी प्रवेश करने के साथ ही फाफामऊ श्मशान घाट डूब गया है। इससे महीने भर से इस घाट पर रेत में दफनाए गए शवों को निकाल कर जलाने का काम नगर निगम को रोकना पड़ गया। इस श्मशान घाट पर शवों को बहने से रोकने के लिए लगाए गए कर्मियों में से एक की साइकिल भी बह गई। दोपहर बाद तक पानी के बीच कई शव दिखाई देते रहे, लेकिन गंगा के प्रवाह में दर्जनों शवों के बहने की आशंका जताई जा रही है।
जलस्तर में वृद्धि होने से फाफामऊ श्मशान घाट पर रात में ही पानी आ गया। रविवार को पूरा घाट डूब गया। इससे नगर निगम को वहां रेत से निकल रही लाशों को जलाने का काम ठप करना पड़ा। पानी बढ़ने के बाद नगर निगम की ओर से तैनात कर्मी भी वहां से हटा लिए गए। दोपहर बाद तक इस घाट पर बांस के घेरे में कई जगह शवों के दफनाए जाने के निशान नजर आते रहे। कहीं इन शवों को जलाने के लिए नगर निगम की ओर से मंगाई गई लकड़ियां बहती रहीं, तो कहीं रामनामी और कफन बहते नजर आ रहे थे।
गंगा के प्रवाह में दर्जनों शवों के भी बहने की आशंका जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि कोरोना काल में बीते अप्रैल और मई महीने के दौरान इस घाट पर अंतिम संस्कार के लिए जगह न मिलने की वजह से सैकड़ों लोगों ने रेत में शवों को दफना दिया था। हालांकि उन दिनों जब ये शव रेत हटने से बाहर दिखाई देने लगे और शोर मचने लगा था, तब योगी सरकार ने इन लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराने का निर्देश दिया था। उसके बाद करीब महीने भर से नगर निगम की ओर से फाफामऊ घाट पर रेत से निकाले जा रहे लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराया जा रहा था, ताकि इन शवों को गंगा में बहने और प्रदूषण फैलने से रोका जा सके।