रायपुर: कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखकर प्रदेशभर की जेलों से बंदियों को जमानत व पेरोल पर छोड़ने का सिलसिला जारी है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अब तक करीब 32 सौ बंदियों को छोड़ा जा चुका है। सभी बंदी अपने घरों में स्वजनों के साथ रह रहे हैं। कोरोना की पहली लहर में भी जेल बंदियों को कहर से बचाने जमानत पर छोड़ा गया था। बावजूद इसके जेलों में कोरोना संक्रमण फैलने से नहीं रोका जा सका। रायपुर समेत कई जेलों में बंदियों की मौते हुई थी, वहीं सैकड़ों की संख्या में बंदी समेत जेल प्रहरी, अधिकारी-कर्मचारी संक्रमण के शिकार हुए थे।
जेल प्रशासन के तमाम ऐहतिहात के बाद भी प्रदेशभर के जेलों में कोरोना से बिगड़ रहे हालात को देखते हुए अप्रैल महीने से ही बंदियों को पैरोल, जमानत पर छोड़े जाने की मांग उठने लगी थी। कोरोना की बढ़ रही रफ्तार को देखते हुए जेल व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने पूरी रिपोर्ट जेल मुख्यालय से मांगी थी। उसी के आधार पर ही कैदियों को जमानत या पैरोल पर दोबारा छोड़ने का फैसला हाईकोर्ट ने सुनाया। इसके बाद मई के आखिरी सप्ताह से बंदियों को छोड़ने का सिलसिला जारी है।
जानकारी के मुताबिक रायपुर सेंट्रल जेल से सबसे अधिक 567, दुर्ग जेल से 322, बिलासपुर जेल से 261, महासमुंद जेल से 225, रायगढ़ जेल से 189 समेत कुल 33 जेलों से 32 सौ बंदी छोड़े जा चुके हैं। फिलहाल गंभीर अपराध को छोड़कर नए बंदियों को जेल में नहीं लिया जा रहा है। सभी को जमानत का लाभ देकर छोड़ा जा रहा है।
फैक्ट फाइल
सेंट्रल जेल-रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, अंबिकापुर, जगदलपुर।
13 जिला जेल।
15 उपजेल समेत कुल 33 जेलों से रिहा कुल बंदी 32 सौ।
अंतरिम जमानत पर 1420 विचाराधीन।
नियमित जमानत पर दंडित बंदी-29।
विचाराधीन-1694।
कलेक्टर छुट्टी-26।
धारा 432(1) के तहत-16
वर्जन-
कोरोना संक्रमण को देखते हुए हाईकोर्ट के निर्देश पर सभी जेलों से बंदियों को जमानत और पेरोल पर छोड़ने का क्रम जारी है। अब तक सबसे अधिक रायपुर जेल से बंदी छोड़े गए हैं।