कोरोना की दहशत : सील लाशों के प्रमाणपत्र देखने के बाद कर रहे अंतिम संस्कार

यूपी के प्रयागराज में रसूलाबाद श्मशान घाटों पर आने वाली सील लाशों का अब प्रमाणपत्र देखा जा रहा है। प्रमाणपत्र कोरोना निगेटिव होने पर अंतिम संस्कार करने की इजाजत दी जा रही है। कोरोना पॉजिटिव होने पर लाश फाफामऊ घाट भेज रहे हैं।

घाट के आसपास मोहल्लों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए अंतिम संस्कार कराने वाली संस्था महराजिन बुआ समिति ने व्यवस्था बनाई है। घाट पर आने वाली हर लाश पर समिति के सदस्यों की नजर है। सील लाशों का प्रमाणपत्र नहीं दिखाते तो कसम देकर परिजनों से पॉजिटिव और निगेटिव रिपोर्ट की जानकारी लेते हैं।  समिति के संचालक जगदीश त्रिपाठी ने बताया कि घाट पर अंतिम संस्कार कराने वालों को बचाने के लिए सेनिटाइजर, मास्क आदि की व्यवस्था की गई है।  पिछले साल कोरोनाकाल में लगाए गए स्पीकर से सोशल डिस्र्टेंंसग के लिए लगातार घोषणा की जा रही है। लोगों से भीड़ कम करने का लगातार आग्रह किया जा रहा है। जगदीश के अनुसार कोरोना के मद्देनजर श्मशान घाट बहुत ही संवेदनशील जगह है। यहां संक्रमण तेजी से फैल सकता है। अबतक एक दर्जन सील लाशें फाफामऊ भेजी जा चुकी हैं। खुद को बचाने के साथ अंतिम संस्कार के दौरान उठते धुएं से घाट के आसपास रहने वाले हजारों परिवारों को बचाने के लिए ये व्यवस्थाएं की गई हैं।

मुक्तिधाम के अंतिम पड़ाव में हर मदद 
संकट के समय रसूलाबाद घाट पर गरीबों को अंतिम संस्कार में हर मदद की जा रही है। महराजिन बुआ सेवा समिति की ओर से गरीबों के अंतिम संस्कार में लकड़ी व अन्य पूजन सामग्री मुहैया कराई जाती है। समिति के संचालक जगदीश त्रिपाठी ने बताया कि मदद से पहले पूरी जांच कर ली जाती है। 

अपने ही स्टाफ को भर्ती करने से इनकार 

प्रयागराज में कोरोना काल में मानवीय संवेदनाएं भी शून्य होती जा रही हैं। शहर के नामी प्राइवेट अस्पताल ने अपने ही कर्मचारी को एडमिट करने से इनकार कर दिया। किडनी की बीमारी से पीड़ित उक्त कर्मचारी का उसी अस्पताल में हर एक दो महीने के बाद डायलिसिस होता है, जहां वह कार्यरत है।
सोमवार सुबह परिजन उसे लेकर डायलिसिस के लिए पहुंचे तो अस्पताल गेट पर ही रोक दिया गया। कहा गया कि पहले आरटीपीसीआर रिपोर्ट लेकर आएं तभी एडमिट किया जाएगा। परिजनों ने बताया कि उन्हें पहले कोरोना हो चुका है और उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है। तत्काल डायलिसिस की आवश्यकता है नहीं तो बहुत मुश्किल हो जाएगी। वैसे भी खड़े-खड़े आरटीपीसीआर जांच कहां से ले आएं। लेकिन लाख गिड़गिड़ाने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन एडमिट करने को तैयार नहीं था। उसके बाद परिजनों ने दबाव बनाना शुरू किया तब कहीं जाकर डायलिसिस शुरू हो सकी। परिजनों का कहना है कि आरटीपीसीआर जांच में परेशानी हो रही है, हजारों जांच र्पेंंडग है। ऐसे में यदि किसी मरीज की तबीयत बिगड़ जाए तो आपात चिकित्सा कैसे उपलब्ध होगी।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com