लखनऊ: कोरोना वायरस के कारण देशभर में तमाम आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं. इसके चलते एक दशक में पहली बार रियल एस्टेट मार्केट में कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है.
रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म लायसेस फोरास के सीईओ पंकज ने कहा, ”देशभर में प्रॉपटी की कीमतें 10-20 फीसदी तक घट सकती हैं. वहीं, जमीन के दाम 30 फीसदी तक नीचे आ सकते हैं.” उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी में इस तरह की कमी वैश्विक आर्थिक संकट के समय भी नहीं देखने को मिली थी.
बैंकिंग संकट और तमाम प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद ज्यादातर बाजारों में तब से कीमतें स्थिर बनी हुई थीं. बैंकों के नकदी संकट के चलते पिछले साल से स्थितयां खराब होनी शुरू हुई हैं. नकदी संकट के कारण बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने डेवलपर और प्रॉपर्टी खरीदारों दोनों को कड़ी शर्तों के साथ कर्ज देना शुरू किया. इससे कंपनियां डिस्काउंट देने पर मजबूर हुईं. अब कीमतों में कहीं ज्यादा तेजी से गिरावट देखने को मिल सकती है.
लख़नऊ स्थित राजघराना सी एंड आई डी प्रा. लि के मैनेजर रानू तिवारी ने कहा क़ि., ”बाजार अब पूरी तरह से खरीदने वालों के लिए बन गया है. अगर किसी को वाकई प्रॉपटी या जमीन की बिक्री करनी है तो उसे कीमतों को घटाना होगा.”
अभी स्थिति इस कदर खराब हो गई है कि देशभर में चार से पांच साल की इंवेंट्री बन गई है. यह ऑल टाइम हाई है. देश के नौ प्रमुख शहरों में 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य के मकान अब तक नहीं बिके हैं. ऑनलाइन रियल-एस्टेट पोर्टल प्रॉपटाइगर की जनवरी की रिपोर्ट से इसका पता चलता है.
बैंकों की भी इससे चिंता बढ़ गई है. उनका मानना है कि अगर डेवलपर अपनी यूनिटों (अपार्टमेंट, घर) को बेच पाने में सफल नहीं होते हैं तो इससे डिफॉल्ट के मामले बढ़ सकते हैं. इससे फंसे कर्ज बढ़कर 140 अरब डॉलर तक पहुंच सकते हैं.
रियल एस्टेट मार्केट समस्या से उबर सके, इसके लिए पिछली कुछ तिमाहियों में सरकार ने कई कदम उठाए हैं. लेकिन, अब भी कई प्रोजेक्ट अटके हैं. तीन हफ्तों के लॉकडाउन के बावजूद कोरोना के बढ़ते मामलों से स्थितियां और खराब होती दिख रही हैं.