लखनऊ
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को पत्र लिखकर एलडीए में हुए घोटालों की सूची भेजी है। इनमें कमर्शल प्लॉटों के आवंटन से लेकर शान-ए-अवध को बेचे जाने, अपार्टमेंट के निर्माण में घपले, समायोजन में फर्जीवाड़े, पुरानी योजनाओं की गायब हुई फाइलें और रोहतास को फायदा पहुंचाए जाने जैसे मामले शामिल हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव अमित सिंह की तरफ से आवास विभाग के प्रमुख सचिव को इस संबंध में 31 अगस्त को पत्र भेजा गया था। प्रमुख सचिव ने 7 नवंबर को कमिश्नर कार्यालय पत्र भेजकर सभी मामलों की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा। इसके बाद कमिश्नर कार्यालय की तरफ से 8 नवंबर को एलडीए उपाध्यक्ष से रिपोर्ट मांग ली गई। उप मुख्यमंत्री की तरफ से जिन घोटालों की सूची भेजी गई थी, उससे जुड़े सभी अधिकारियों से जवाब-तलब किया गया है।
पत्र में की गईं शिकायतें-
नौ दिन पहले बनी कंपनियों को आवंटन
नियम के मुताबिक, एलडीए के कमर्शल प्लॉटों की नीलामी में तीन साल पुरानी कंपनी ही शामिल हो सकती है, लेकिन एलडीए अधिकारियों ने नौ दिन पहले बनी कंपनियों को भी प्लॉट आवंटित कर दिए। चौंकाने वाली बात यह है कि ई नीलामी में महज नौ दिन पहले बनी कंपनियों को शामिल कैसे किया गया?
रोहतास के फर्जीवाड़े पर चुप्पी क्यों?
पत्र में रोहतास बिल्डर के फर्जीवाड़े पर एलडीए की चुप्पी पर भी सवाल उठाया गया है। पत्र के मुताबिक डिवेलपर के खिलाफ हजरतगंज में एफआईआर दर्ज है। फिर भी अधिकारी डिवलेपर पर मेहरबान हैं। गौरतलब है कि डिवेलपर के फरार होने के बावजूद सुलतानपुर रोड स्थित उसकी योजना का डीपीआर पास हो गया।
नहीं किया ब्लैकलिस्ट
पत्र में कहा गया है कि पारिजात, पंचशील, स्मृति, सृष्टि और सहज अपार्टमेंट बनाने में धांधली करने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया, बल्कि बचा हआ काम दूसरी कंपनियों से करवा लिया गया।
समायोजन में दिए बड़े प्लॉट
पुरानी योजनाओं में चहेतों को पहले 40 वर्गमीटर के प्लॉट आवंटित किए गए और बाद में उसकी जगह उन्हें गोमतीनगर विस्तार जैसी पॉश कॉलोनियों में 150 वर्गमीटर के प्लॉट दे दिए गए।
फाइलें ही गायब
टीपी नगर, गोमतीनगर और जानकीपुरम समेत कई योजनाओं में सैकड़ों आवंटियों की फाइलें ही गायब हैं। रजिस्टर में कोई ब्योरा तक नहीं दर्ज है।